छोटा झील में प्रदूषण का जहर
हजारीबाग : शहर के सबसे छोटे झील का पानी प्रदूषित होने से छह क्विंटल से अधिक मछलियां मर गयीं. सोमवार की सुबह लोग जब झील के आसपास मॉर्निग वॉक कर रहे थे, उन्होंने अचानक झील के चारों ओर की सतह पर देखा कि कुछ मछलियां मरी पड़ी थीं, जबकि कुछ तड़प रही थीं. देखते ही […]
हजारीबाग : शहर के सबसे छोटे झील का पानी प्रदूषित होने से छह क्विंटल से अधिक मछलियां मर गयीं. सोमवार की सुबह लोग जब झील के आसपास मॉर्निग वॉक कर रहे थे, उन्होंने अचानक झील के चारों ओर की सतह पर देखा कि कुछ मछलियां मरी पड़ी थीं, जबकि कुछ तड़प रही थीं.
देखते ही देखते वहां लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. लोग मछलियां ले जाने के लिए उमड़ पड़े. बाद में इसकी जानकारी जिला मत्स्य पदाधिकारी शंभु प्रसाद यादव को दी गयी. सूचना मिलते ही मत्स्य विभाग के लोग वहां पहुंचे. उसके बाद मछलियों को बचाने के लिए चूना और पोटाशियम परमेगनेट का घोल झील में डाला गया. जिला मत्स्य पदाधिकारी शंभु प्रसाद यादव के अनुसार छोटे झील के पानी में अम्लीय मात्रा बढ़ गयी थी.
पानी के अंदर घुलित ऑक्सीजन की मात्रा कम होने के कारण मछलियां पानी की सतह पर आ गयी और ऑक्सीजन लेने लगी, जिससे मछलियों की मौत हुई है. उन्होंने बताया कि पानी की अम्लीय क्षमता को कम कर अल्कलाइन की मात्रा पानी में बढ़ायी गयी है. उनके अनुसार, पानी प्रदूषित होने के कारण ऐसा हुआ है.
छोटा झील का पानी जहरीला
स्थानीय लोगों के अनुसार छोटा झील का पानी जहरीला होने का कारण ड्रेनेच से आनेवाला पानी है. इस पानी में अम्लीय मात्रा अधिक है. झील में आसपास के इलाकों का गंदा पानी पहुंच रहा है.
घरेलू एवं अन्य प्रकार के कचरे भी झील में डाले जा रहे हैं. इससे पूरा पानी प्रदूषित हो चुका है. रासायनिक तत्वों के लगातार बढ़ने के कारण मछलियां मर रही हैं. लोगों के अनुसार यदि झील को प्रदूषण से नहीं बचाया गया, तो आनेवाले दिनों में झील की स्थिति और खराब हो जायेगी.