पांच वर्ष में दो दर्जन से अधिक की मौत
अंधविश्वास की चपेट में है दंतार पंचायत के कुसुंभा गांव कउआही टोला यहां के लोगों को डायन, भूत, ओझा-गुणी व भगत पर पूरी आस्था है बीमार पड़ने लोग डॉक्टर से सलाह लेने के बजाय ओझा-गुणी व भगत पर करते है भरोसा जोरी : प्रखंड मुख्यालय से 25 किमी की दूरी पर स्थित है दंतार पंचायत […]
अंधविश्वास की चपेट में है दंतार पंचायत के कुसुंभा गांव कउआही टोला
यहां के लोगों को डायन, भूत, ओझा-गुणी व भगत पर पूरी आस्था है
बीमार पड़ने लोग डॉक्टर से सलाह लेने के बजाय ओझा-गुणी व भगत पर करते है भरोसा
जोरी : प्रखंड मुख्यालय से 25 किमी की दूरी पर स्थित है दंतार पंचायत का कुसुंभा गांव. यह गांव कई टोलों में विभाजित है. इसका मुख्य टोला है कउआही. इस टोले में 25 घरों में गंझू जाति के लगभग 40 परिवार स्थायी तौर पर निवास करते हैं. इस टोले की आबादी लगभग 300 हैं.
आजादी के 70 वर्ष बाद भी यहां जन सुविधाओं का घोर अभाव है. सरकारी योजनाओं से पूरी तरह महरूम इस टोले के युवकों को अपनी भूख व परिवार के भरण पोषण के लिए दूसरे प्रदेशों में जाना पड़ता है. अशिक्षा व बेरोजगारी का दंश झेल रहे ग्रामीणों को अंधविश्वास ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है. लोगों को डायन, भूत, ओझा-गुणी व भगत पर पूरी आस्था है. बीमार पड़ने व गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने पर लोग डॉक्टर की सलाह लेने के बजाय ओझा-गुणी, भूत व भगत पर ही अधिक भरोसा करते हैं.
इससे लोग मौत को गले लगा रहे हैं. पिछले पांच वर्षों में इस टोले में दो दर्जन से अधिक लोगों की जान अंधविश्वास के कारण हो गयी है. इस जटिल समस्या के निराकरण हेतु सरकार, समाजसेवी संस्थाएं, जनप्रतिनिधि व स्थानीय प्रशासन द्वारा ठोस कदम नहीं उठाये जाने से असामाजिक बुराई दिनों-दिन फैलते जा रही हैं. ओझागुणी मालामाल बनते जा रहे हैं. दशहरा के 10 दिनों में उनकी कमाई लाखों में होती है. ये कोलकाता के काली घाट, गया के प्रेतशिला व बरुरा शरीफ आदि स्थानों पर जाकर भूत भगाने के नाम पर पीड़ित व्यक्तियों से हजारों रुपये वसूलते हैं.
भूत भगाने के नाम पर मोटी रकम वसूलते हैं ओझा
टोले समेत पास पड़ोस के इलाके काफी दुरूह है. यहां आने-जाने का कोई सुगम साधन नहीं है. इसका फायदा ओझा उठाते हैं. गांव के ही लोगों पर भूत लगा देने का आरोप लगाकर आपस में कटुरता फैलाते है. साथ ही भूत भगाने के नाम पर पीड़ित व्यक्ति से मोटी रकम वसूलते हैं.
पिछले पांच वर्षों में फुलमतिया देवी के पति रामबली गंझू व उसके पांच पुत्र-पुत्रियां, विनोद गंझू, भूखाली गंझू, मुंगेश्वर गंझू के चार बच्चे, बिजली गंझू, सहदेव गंझू व इसके दो बच्चे, दुकनी देवी व इसके चार बच्चे, मोहन गंझू, महेंद्र गंझू के पांच बच्चे, पांचू गंझू के चार बच्चे व हुलास गंझू के तीन बच्चे की मौत हो चुकी हैं.
अंधविश्वास का मूल कारण है अशिक्षा
अंधविश्वास की जड़ का मूल कारण है अशिक्षा है. गांव में शिक्षा का केंद्र प्राथमिक स्तर तक है. सर्वशिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2006 में विद्यालय खोला गया था. बतौर पारा शिक्षक उदय कुमार सिंह नियुक्त है. इसके बावजूद विद्यालय हमेशा बंद रहता है. पदाधिकारी भी उग्रवाद क्षेत्र का बहाना बनाकर निरीक्षण नहीं करते हैं.
सरकारी सहयोग से लोगों को जागरूक किया जायेगा
जिप सदस्य कामेश्वर गंझू ने बताया कि समाज को खोखला करने वाली इस बुराई की जड़ में शिक्षा का अभाव है. ज्ञान विज्ञान संस्था के तहत इस बुराई को दूर भगाने का प्रयास करते आ रहा हूं. अब सरकारी सहयोग से लोगों को जागरूक कर इससे निजात दिलाने का काम करूंगा.
दंतार पंचायत की मुखिया पोषण कुमार व जोलडीहा पंचायत की मुखिया सरयू गंझू ने बताया कि मैं भी इस मामले को लेकर काफी गंभीर हूं. सभी पीड़ित व्यक्तियों को सामुदायिक इलाज कराया जायेगा. गांव में जागरूकता लाने के लिए सरकारी पदाधिकारियों के निर्देशानुसार कार्यक्रम आयोजित कर इस बुराई का खात्मा करने का प्रयास करूंगा.
स्थानीय थाना में दर्ज हैं कई मामले
दंतार के परमाचक निवासी संजय ने अपने सगे दादा करम भुइयां की हत्या ओझा-गुणी के आरोप में कर दी. करैलीबार के चांदो भुइयां की हत्या जलती चिता में डाल कर कर दी गयी थी. इस पर ओझा होने का आरोप था. बखराडीह निवासी संजय मिस्त्री द्वारा अपने सगी भाभी की हत्या डायन होने का आरोप लगाकर कर दी थी. जोलडीहा पंचायत के सुरहूद निवासी बुधन सिंह की हत्या परिजनों ने ओझा होने का आरोप लगाकर कर दी. इसके अलावा डायन बिसाही से प्रताड़ित किये जाने के अन्य मामले में थाने में दर्ज है.