मुकुंद नायक ने समां बांधा

मोरांगी. जतरा मेला में दिखी आदिवासी संस्कृति की झलक हजारीबाग : झारखंड के आदिवासियों को एकता के सूत्र में बांधने के लिए सदर प्रखंड के हतियारी मोरांगी गांव में जतरा मेला का आयोजन किया गया. मेला का उदघाटन समाजसेवी प्रदीप प्रसाद ने किया. मेले में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त खोरठा गायक मुकुंद नायक ने पूरी टीम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2016 12:39 AM
मोरांगी. जतरा मेला में दिखी आदिवासी संस्कृति की झलक
हजारीबाग : झारखंड के आदिवासियों को एकता के सूत्र में बांधने के लिए सदर प्रखंड के हतियारी मोरांगी गांव में जतरा मेला का आयोजन किया गया. मेला का उदघाटन समाजसेवी प्रदीप प्रसाद ने किया. मेले में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त खोरठा गायक मुकुंद नायक ने पूरी टीम के साथ शिरकत की. इस अवसर पर मुकुंद नायक ने खोरठा गीत-गांवे शहरे जाये..जना के जगाये.., चला चलाये झारखंड के सुखद बनाये.. चला चला रे भारत के सरगा बनाये.. गीतों से लोगो को खूब झुमाया.
यहां समाजसेवी प्रदीप प्रसाद ,आजसू के विकास राणा, मुखिया चौधरी प्रसाद साहू, उप-मुखिया सरजू रविदास व अखिलेश नारायण दास समेत कई लोगों ने ढोल नागाड़ा व मांदर बजाया और झूमे. इसके अलावा खोरठा गीतों पर थिरके. मौके पर प्रदीप प्रसाद ने कहा कि झारखंड के सभी आदिवासियों को एकजुट होने की जरूरत है. सभी आदिवासियों को अपने हक के लिए एकजुट होकर संघर्ष करना होगा. कार्यक्रम में झारखंडी संस्कृति की झलक है. सभी आदिवासियों को अपने संस्कृति को बचाने के लिए जागरूक होने की आवश्यकता है.
मेला का आयोजन : सरना समिति की ओर से आदिवासी जतरा मेला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम रविवार को दिन के 10 बजे से पांच बजे तक चला. कार्यक्रम को सफल बनाने मे समिति के अध्यक्ष रवि कच्छप, सचिव सोनू तिर्की, कोषाध्यक्ष समीर कुजूर, रवि लकड़ा, मंटू लकड़ा, जीतेंद्र लकड़ा, अशोक किस्पोटा, जयपाल उरांव, शंकर टोप्पो, विजय कुजूर, अगंद कच्छप, सुनील लकड़ा, मंजीरा मिंज, दीपक लकड़ा, दिलीप तिर्की, उमेश टोप्पो, मुकेश लिंडा समेत हत्यारी गांव के समस्त ग्रामीण शामिल थे.
आदिवासियों को शिक्षित होना होगा : मुकुंद नायक
मुकुंद नायक ने अपने आदिवासी जतरा मेला में गीतों के माध्यम से संदेश दिया कि राज्य तो मिला है, लेकिन अब भी बहुत चीज लेना बाकी है. इसके लिए सभी आदिवासी संवर्ग के लोगों को एकजुट होना होगा. आदिवासियो को शिक्षित होना होगा. अपनी परंपरा और रीति-रस्म को बचाते हुए लोगों को विकास करना होगा.

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