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लाखों का नुकसान

इचाक : प्रखंड के आधी से अधिक आबादी खेती पर आश्रित है. यहां के किसान धनिया पत्ता व आलू के रिकार्ड उत्पादन कर झारखंड, बिहार, बंगाल समेत अन्य राज्यों में भी अपनी पहचान बना चुके हैं. इचाक के धनिया पत्ता की मांग देश-विदेश में है, लेकिन बिडंबना है कि इचाक प्रखंड में कोल्ड स्टोरेज नहीं […]

इचाक : प्रखंड के आधी से अधिक आबादी खेती पर आश्रित है. यहां के किसान धनिया पत्ता व आलू के रिकार्ड उत्पादन कर झारखंड, बिहार, बंगाल समेत अन्य राज्यों में भी अपनी पहचान बना चुके हैं. इचाक के धनिया पत्ता की मांग देश-विदेश में है, लेकिन बिडंबना है कि इचाक प्रखंड में कोल्ड स्टोरेज नहीं रहने के कारण किसानों को औने-पौने दामों में अपनी उपज को बेचनी पड़ रही है. इस कारण प्रत्येक वर्ष उन्हें लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
औने-पौने दामों में बेचा उत्पाद: करियातपुर गांव निवासी सीताराम कुशवाहा व चंदा के विनोद कुमार ने कहा कि इस वर्ष आलू की खेती में लगभग डेढ़ लाख रुपये की पूंजी लगायी, लेकिन उपज के बाद बिचौलियों के हाथों औने-पौने दामों में बेचना पडा.
उरुका गांव निवासी खेश्वर मेहता व दरिया गांव निवासी अर्जुन प्रसाद मेहता, विकास कुमार, कालाद्वार के श्याम मेहता, किशोर मेहता, मंगुरा के संतोष मेहता, जुगेश्वर मेहता, डेगलाल मेहता, अजय मेहता, बालगोविंद मेहता, फुरूका के सिकंदर मेहता, राजू मेहता, मोकतमा के विनय कुमार, अशोक मेहता ने कहा कि कर्ज लेकर आलू व धनिया, टमाटर आदि फसल लाते हैं, लेकिन कोल्ड स्टोरेज नहीं रहने के कारण आनन-फानन में बिचौलियों के हाथ बेच देने से मुनाफा नहीं हो पाता है.

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