मटवारी मैदान शाम होते ही बन जाता है मयखाना
हजारीबाग : मटवारी गांधी मैदान शाम होते ही मयखाना बन जाता है. पियक्कड़ मैदान के किसी एक कोने में शराब पीने का अपना अड्डा चुनते हैं. शराब पीने का दौर देर रात चलता रहता है. मैदान में पीने पर रोक लगाने की कोई हिम्मत नहीं कर पाता है. जिसने मैदान में इस तरह खुले आम […]
हजारीबाग : मटवारी गांधी मैदान शाम होते ही मयखाना बन जाता है. पियक्कड़ मैदान के किसी एक कोने में शराब पीने का अपना अड्डा चुनते हैं. शराब पीने का दौर देर रात चलता रहता है.
मैदान में पीने पर रोक लगाने की कोई हिम्मत नहीं कर पाता है. जिसने मैदान में इस तरह खुले आम शराब पीने एवं अड्डेबाजे करने पर रोक लगाने का प्रयास किया उसकी खैर नहीं होती. इसके कारण मैदान में असामाजिक तत्वों का रौब दाब कायम हो जाता है. सुबह मैदान के अधिकांश हिस्सों में खाली व टूटी शराब की बोतलें बिखरी होती हैं. सुबह शाम टहलने व खेलनेवाले युवक एवं बच्चे को परेशानी होती है. कई बार टूटे बोतले के नुकीले शीशे पैरों कें चुभते पाये गये हैं.
एक किमी के अंदर तीन शराब की दुकानें
मटवारी गांधी मैदान के पास एनएच-100 पर एक किमी के अंदर तीन विदेशी शराब की लाइसेंसी दुकान खुली हैं.शराबियों को आसानी से पीने के लिए शराब उपलब्ध हो जाती है. शराब दुकान से खरीद कर सीधा मैदान में प्रवेश कर जाते हैं. मन पसंद एवं सुरक्षित जगह होने के कारण उनका अड्डा जम जाता है. इसी तरह कई पीनेवाले अलग अलग जगहों पर शराब पीने के काम करने से पूरा मैदान मयखाना में तब्दील हो जाता है. दारू का चखना जिस कागज व प्लेट में होता है शराबी उसे बोतल के साथ वहीं छोड़ कर चल देते हैं.
कचरा जलाने से धुआं व प्रदूषण फैला-नगर निगम बुधवार को सफाई कम प्रदूषण एवं धुआं ज्यादा फैलाया. प्रभात खबर में खबर छपने के बाद नगर निगम ने सफाई करने के नाम दो सफाई कर्मियों को भेजा. 28 दिसंबर को सुबह दस बजे सफाई कर्मी मैदान में पहुंचे. सफाई कर्मियों ने कुछ जगहों पर कचरों का जमा किया. उसे उठा कर ले जाने के वजाय वहीं उसमें आग दी. जिससे पूरा मैदान धुआं एवं प्रदूषण से भर गया. जले प्लास्टिक की बदबू से लोग परेशान हो रहे थे. सफाई का काम ठीक एक बजे बंद कर दिया गया. कुल चार घंटे में सफाई कम और आंखों को रूलाया ज्यादा.