प्रसव पीड़ा हुई, तो अस्पताल जाना मुश्किल
उमाकांत शर्मा कटकमसांडी : हजारीबाग जिले के कटकमसांडी प्रखंड में है बांझा पंचायत. इस पंचायत का गांव नचले उग्रवाद प्रभावित है, जो विभिन्न समस्याओं का दंश झेल रहा है. यह गांव जिला मुख्यालय से 31 किमी व प्रखंड मुख्यालय से छह किमी पर पहाड़ की तलहट्टी में बसा है. गांव की आबादी करीब 500 की […]
उमाकांत शर्मा
कटकमसांडी : हजारीबाग जिले के कटकमसांडी प्रखंड में है बांझा पंचायत. इस पंचायत का गांव नचले उग्रवाद प्रभावित है, जो विभिन्न समस्याओं का दंश झेल रहा है. यह गांव जिला मुख्यालय से 31 किमी व प्रखंड मुख्यालय से छह किमी पर पहाड़ की तलहट्टी में बसा है. गांव की आबादी करीब 500 की है. गांव में सिर्फ भोक्ता जाति के लोग ही रहते हैं. गांव का कोई भी व्यक्ति सरकारी नौकरी में नहीं है. खेती और मजदूरी ही जीविका का साधन है. गांव में एकमात्र स्वास्थ्य उपकेंद्र है. पानी की सुविधा के लिए चापानल और दो कूप ही है. बिजली की स्थिति भी गांव में ठीक नहीं है. गांव में एकमात्र प्राथमिक विद्यालय है. आंगनबाड़ी केंद्र इस गांव में खोला ही नहीं गया. सड़क के अभाव के कारण लोग अपने उपजाये गये फसलों को लेकर बाजार जाने में कठिनाई महसूस करते हैं.