..हजारीबाग शहर के सभी तालाब सूखे
बागों का शहर हजारीबाग का ताल तलैया पूरी तरह से सूख गया है. शहर के सभी तालाब पूरी तरह से सूख गये हैं.
हजारीबाग. बागों का शहर हजारीबाग का ताल तलैया पूरी तरह से सूख गया है. शहर के सभी तालाब पूरी तरह से सूख गये हैं. शहर के इंद्रपुरी चौक स्थित छठ तालाब, लोहसिंघना मुहल्ला का ओकनी तालाब, केबी महिला कॉलेज के पास बुढ़वा महादेव तालाब, कालीबाड़ी रोड स्थित मीठा तालाब और खिरगांव मुहल्ला स्थित बेलाही तालाब का पानी सूखने से जमीनी सतह दिखाई दे रही है. शहर के इन सभी तालाबों में छह फीट से भी अधिक पानी रहता था. भीषण गरमी, बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन का असर शहर के जलस्रोतों पर भी पड़ा है. इसी का परिणाम है कि शहर के सभी तालाब मई के महीने में ही पूरी तरह से सूख गये. शहर का जल स्तर काफी नीचे पहुंचा सूखे तालाबाें और शहर के डीप बाेरिंग से शहर का जल स्तर काफी नीचे पहुंचने का उदाहरण है. 100 फीट से नीचे बोरिंग के पानी का जल स्तर पहुंच गया है. कई इलाकों में डेढ़ सौ से भी नीचे पानी का जल स्तर चला गया है. वहीं शहरी क्षेत्र के दीपूगढ़ा, कनहरी रोड एवं अन्य मुहल्लों में जल स्तर दो सौ फीट से भी नीचे चला गया है. धीरे-धीरे शहर की आबादी और क्षेत्रफल तीन गुणा ज्यादा बढ़ गया है. 36 वार्ड और ढ़ाई लाख से अधिक आबादी हो गयी है. छड़वा डैम में पानी सप्लाई शहर के आबादी का 25 प्रतिशत लोग ही इस्तेमाल कर पा रहे हैं. 75 प्रतिशत लोग डीप बोरिंग कर पानी निकाल रहे हैं. पिछले दस साल में 50 हजार से भी अधिक डीप बोरिंग शहरी क्षेत्र में हुए हैं. इस कारण शहर का जल स्तर काफी नीचे चला गया है. वाटर हार्वेस्टिंग और रिचार्च पर कार्य नहीं हजारीबाग का तापमान 48 डिग्री तक पहुंच गया है. पूर्वी भारत का शिमला कहा जानेवाला शहर हजारीबाग के आबो हवा में काफी बदलाव आया है. 20 साल पहले तक शहर में गिने चुने भवनों में एसी लगे होते थे. कूलर का भी इस्तेमाल अधिकांश लोग नहीं करते थे. पंखा से ही काम चल जाता था. लेकिन इन दिनों आधी आबादी में अधिकांश घरों में कूलर और एसी का इस्तेमाल हो रहा है. चिलचिलाती धूप और लू के प्रकोप हजारीबाग में लगातार बढ़ रहे हैं. जल स्तर नीचे जा रहा है. इसको लेकर नगर निगम काफी जागरूक व बेहतर कार्य नहीं कर रहा है. भवन का नक्शा पारित करने में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गया है. धरातल पर उतारने में नगर निगम के अधिकारी फिसड्डी साबित हो रहे हैं. वहीं नालाऔर बरसात का पानी को बहने से रोकने के लिए भी वाटर रिचार्ज व्यवस्था फेल है. सरकारी योजनाओं की भी पोल खुली हजारीबाग शहर के छठ तालाब, मीठा तालाब, बेलाही तालाब, बुढ़वा महादेव तालाब समेत अधिकांश तालाबों में सरकारी योजना के तहत गहरीकरण का कार्य किया गया है. पिछले दस साल में सीएसआर मद, केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत सभी तालाबों में गहरीकरण का कार्य किया गया है. इसके बावजूद तालाब आज सूखने के बाद गहराई की वस्तु स्थिति सामने आ रही है. कागजों पर जितने तालाब का गहरीकरण किया गया है जमीन पर उतना दिखाई नहीं दे रहा है. सरकारी योजना की पोल खुल रही है.
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