लुकुइया नदी पर अब तक नहीं बना पुल
हरदिया आदिवासी टोला में प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम
टाटीझरिया. धरमपुर पंचायत अंतर्गत हरदिया आदिवासी टोला में शुक्रवार को प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें लोगों ने खुल कर इस टोले की समस्याओं को रखा. बताया कि आज भी हरदिया आदिवासी टोला मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. सड़क संबंधी समस्या यहां की सबसे बड़ी है. आजादी के इतने साल गुजर जाने के बाद भी आज तक किसी की नजर इस कच्ची सड़क की ओर नहीं गयी. उबड़-खाबड़ सड़क से आने-जाने में परेशानी हाेती है. चारों तरफ से जंगलों से घिरे इस टोला में 150 से अधिक आदिवासी निवास करते हैं. अपने गांव से तीन किमी दूरी तय कर दूसरे गांव पहुंचते हैं, तब यहां से प्रखंड मुख्यालय पहुंचते हैं. टोला के कई बच्चे इसी रास्ते से होकर चार किमी दूर धरमपुर स्कूल पढ़ने जाते हैं. इसी रास्ते में पड़ने वाली लुकुइया नदी पर आज तक पुल नहीं बन पाया और न ही कोई सुध लेने अधिकारी आते हैं. बरसात के दिनों में नदी का जलस्तर बढ़ने पर लोग जान जोखिम में डाल कर मुख्य सड़क तक पहुंच पाते हैं. बच्चे भी एक हाथ में किताब, तो दूसरे हाथ में चप्पल लेकर नदी पार कर स्कूल पढ़ने जाते हैं. नदी में अधिक पानी रहने से कई दिनों तक बच्चों का स्कूल जाना बंद हो जाता है.
बार-बार शिकायत करने पर भी नहीं बना रोड : रमेश टुडू
हरदिया आदिवासी टोला के रमेश टुडू ने कहा कि सड़क बनाने की मांग कई बार की गयी. कई बार तो ग्रामीण खुद से श्रमदान कर सड़क की मरम्मत की है. नदी पार करने के लिए लकड़ी का पुल भी बनाये थे, जो ध्वस्त हो चुका है.हरदिया के जीवलाल मांझी ने कहा कि रोड से तो किसी तरह आना जाना हो जाता है, लेकिन बीच में पड़ने वाली लुकुइया नदी है. बरसात में नदी उफान पर रहती है. नदी का पानी कम होने का इंतजार करना पड़ता है, तब पार करते हैं.
नदी पार कर झाड़ू बेचने जाती हूं : तिनिया देवी
हरदिया की तिनिया देवी ने कहा कि अपने गांव से दूसरे गांव तक पहुंचने के लिए एकमात्र सड़क यही है, जो नदी के रास्ते से होकर गुजरती है. हम झाड़ू बना कर बेचते हैं. दूसरे गांव दो किमी पैदल चल कर बेचने जाते हैं. नदी पार करने में डर लगा रहता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है