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Coronavirus Lockdown: हजारीबाग के डेयरी उ‍द्योग को हर दिन हो रहा 12 लाख का नुकसान

कोरोना की मार हजारीबाग के छोटे-बड़े दूध व्यवसाय पर बहुत ज्यादा पड़ी है. जिले भर के 20 बड़े दुग्ध उत्पादक ऐसे है, जिनके पास 20 से 80 गाय हैं. छोटे-बड़े सभी उत्पादकों को मिलाकर हर दिन करीब 50 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है. जिनकी खपत काफी कम हो गयी है. दूध की बिक्री आधी रह गयी है. दूध विक्रेताओं का कहना है कि शहर के आसपास गांवों से हर दिन 25 हजार लीटर दूध आता था. इन दिनों रोजाना तीन से चार हजार लीटर ही खपत हो रहा है. प्रत्येक दिन लगभग 12 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है.

By AmleshNandan Sinha | April 17, 2020 5:20 PM

जमालुद्दीन

हजारीबाग : कोरोना की मार हजारीबाग के छोटे-बड़े दूध व्यवसाय पर बहुत ज्यादा पड़ी है. जिले भर के 20 बड़े दुग्ध उत्पादक ऐसे है, जिनके पास 20 से 80 गाय हैं. छोटे-बड़े सभी उत्पादकों को मिलाकर हर दिन करीब 50 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है. जिनकी खपत काफी कम हो गयी है. दूध की बिक्री आधी रह गयी है. दूध विक्रेताओं का कहना है कि शहर के आसपास गांवों से हर दिन 25 हजार लीटर दूध आता था. इन दिनों रोजाना तीन से चार हजार लीटर ही खपत हो रहा है. प्रत्येक दिन लगभग 12 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है.

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बताया गया कि नुकसान के डर से उत्पादकों ने दूध का खोवा, घी और पनीर बनाना शुरू कर दिया है. लेकिन 15 दिन रखने के बाद खोवा और पनीर नहीं भी खराब हो जाता है. इमली कोठी स्थित गोकुल डेयरी संचालक ब्रजकिशोर यादव ने कहा कि लॉकडाउन से व्यवसाय काफी प्रभावित हुआ है. व्यापारी विकट परिस्थितियों का लाभ उठाकर पुआल, कुटी, चोकर के आवश्यकता से अधिक दाम वसूल रहे हैं.

पशु आहार की जो बोरी 800 से 900 रुपये की आ रही थी. वह अब 1000 से 1200 रुपये में दे रहे हैं. लॉकडाउन में आय कम और खर्च ज्यादा हो गया है. 14 स्टाफ डेयरी में कार्यरत है. मानदेय का भुगतान करना भी मुश्किल हो रहा है.

शीतल स्वीट्स के संचालक संजय गोप ने कहा कि मिठाई दुकानों को खोलने की इलाजत मिलती है, तो हमलोग दूध का बेहतर इस्तेमाल कर मिठाई बनायेंगे. ऑनलाइन डिलीवरी कर घरों तक मिठाई पहुंचाया जायेगा. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी होगा और घर बैठे लोगों को बेहतर मिठाई खाने का स्वाद भी मिलेगा. इससे डेयरी उद्योग को हो रहे नुकसान की भरपाई भी हो जायेगी.

यहां से पड़ी चोट

– मिठाईयों की दुकानें बंद हैं, जो बड़े पैमाने पर दूध खरीदती थी.

– होटल-रेस्टूरेंट्स बंद होने से मांग पूरी खत्म हो गयी है.

– हजारीबाग में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी पलायन कर चुके हैं, जिससे मांग घटी.

– शहर में तथा हाइवे पर चाय, दूध की दुकानें बंद हो गयी हैं.

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