चरही : केंद्र सरकार की कॉमर्शियल कोल माइनिंग की नीलामी के विरोध में तीन दिवसीय देशव्यापी कोयला उद्योगों की हड़ताल गुरुवार से जारी है. हड़ताल के पहले दिन गुरुवार को सीसीएल हजारीबाग कोयलांचल क्षेत्र चरही महाप्रबंधक के अंतर्गत तापिन साउथ परियोजना, तापिन नॉर्थ परियोजना, परेज परियोजना, झारखंड परियोजना, केदला अंडर ग्राउंड परियोजना, केदला ओपेन कास्ट परियोजना, केदला वासरी परियोजना में काम ठप रहा. उत्पादन व ट्रांसपोर्टिंग का काम बंद रहा.
हजारीबाग कोयलांचल क्षेत्र के चरही अंतर्गत तापिन साउथ, तापिन नॉर्थ, परेज, झारखंड, केदला अंडरग्राउंड, केदला ओपेन कास्ट में लगभग 3024 मजदूर काम पर नहीं गये. इससे इन परियोजनाओं में करीब एक करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. सभी परियोजनाओं में इंटक, सीटू, भारतीय मजदूर संघ, एटक, हिंद मजदूर संघ, झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन समेत अन्य श्रमिक संगठनों के नेता झंडा और बैनर के साथ कोल परियोजनाओं के मुख्य द्वार पर दिनभर प्रदर्शन करते रहे.
युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सह राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रियाज अहमद ने कहा कि केंद्र सरकार गरीबों, किसानों व मजदूरों की सरकार नहीं, बल्कि अडानी व अंबानी जैसे पूंजीपतियों की सरकार है. कॉमर्शियल कोल माइनिंग की नीलामी से बेरोजगारी दर बढ़ेगी. सीसीएल हजारीबाग एरिया के अंतर्गत सभी परियोजना में हड़ताल को लेकर भारतीय मजदूर संघ हजारीबाग एरिया सचिव शंकर सिंह, इंटक के लखराज सिंह, एटक के राजेंद्र प्रसाद सिंह, सीटू के बंसत कुमार, बलभद्र दास एचएमएस के द्वारिका सिंह, खुशीलाल महतो संयुक्त मोर्चा की ओर से मुआयना किया गया. सभी परियोजनाओं में हड़ताल सौ फीसदी सफल रही.
भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्रीय सचिव शंकर सिंह ने कहा कि कोयला उद्योग में कॉमर्शियल माइनिंग और उसकी नीलामी से कोल इंडिया में 3.50 लाख मजदूरों के सीएसआर पर असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि देश की बहुमूल्य खनिज संपदा को लूट से बचाने, खदानों का भविष्य बचाने, कोयला मजदूरों को नारकीय जिंदगी से मुक्त करने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 1972-73 में कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण दो चरणों में किया था. राष्ट्रीयकरण के बाद कोल इंडिया देश में कोयला की जरूरतों को पूरा करते आ रहा है. उत्पादन एवं मुनाफे का कीर्तिमान स्थापित करते हुए यह देश की अर्थव्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है.
Posted By : Guru Swarup Mishra