लॉकडाउन में सब्जियों का निर्यात नहीं होने से किसान परेशान, खेतों में सड़ रही सब्जियां
हजारीबाग जिले के कृषि प्रधान क्षेत्र बड़कागांव प्रखंड में 23 पंचायतों में लगभग 2000 एकड़ भूमि में लगी सब्जियां लॉकडॉउन के कारण बर्बाद हो रही हैं. लॉकडाउन के कारण सब्जियों का निर्यात बंद है. वहीं, स्थानीय बाजारों में भी सब्जियों की खरीद-बिक्री नहीं हो पा रही है. ऐसी परिस्थिति में किसान परेशान हैं. किसानों के खेत में लगी सब्जियां करेला, टमाटर, लौकी, भिंडी, मिर्च, बैंगन, बंद गोभी, फूल गोभी, धनिया, पालक साग आदि सब्जियां खेतों में ही सड़ रही हैं.
संजय सागर
बड़कागांव : हजारीबाग जिले के कृषि प्रधान क्षेत्र बड़कागांव प्रखंड में 23 पंचायतों में लगभग 2000 एकड़ भूमि में लगी सब्जियां लॉकडॉउन के कारण बर्बाद हो रही हैं. लॉकडाउन के कारण सब्जियों का निर्यात बंद है. वहीं, स्थानीय बाजारों में भी सब्जियों की खरीद-बिक्री नहीं हो पा रही है. ऐसी परिस्थिति में किसान परेशान हैं. किसानों के खेत में लगी सब्जियां करेला, टमाटर, लौकी, भिंडी, मिर्च, बैंगन, बंद गोभी, फूल गोभी, धनिया, पालक साग आदि सब्जियां खेतों में ही सड़ रही हैं.
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काडतरी पंचायत के ग्राम केरीगढ़ा निवासी कृषक महेंद्र महतो ने 10 एकड़, हीरामन महतो ने तीन एकड़, रामविलास महतो ने तीन एकड़, वचन देव महतो ने पांच एकड़ और सुनील महतो ने ढाई एकड़ में करेला, टमाटर, लौकी और भिंडी लगाये हैं. इन किसानों ने बताया कि लॉकडाउन होने के कारण वाहन नहीं चल रहे हैं. जिस कारण से खेतों से बाजार तक सब्जियां नहीं जा रही हैं. स्थानीय बाजारों में भी सब्जियां नहीं बिक रही हैं. इस कारण खेतों में लगी सब्जी की फसल सड़ रही है.
किसानों ने यह भी बताया कि सब्जियों को सड़ने से बचाने का कोई उपाय नहीं है. सब्जियों को तोड़कर गली-मोहल्लों और विभिन्न गांवों में घूम-घूमकर कम दाम में बेच रहे हैं. धर्मनाथ महतो और लखन लाल महतो ने बताया कि बाहर से व्यापारी आकर हम किसानों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए करेला, टमाटर, लौकी और भिंडी 5 रुपये किलो की दर में खरीदकर वही सब्जी बाजार में 25 रुपये प्रति किलो बेच रहे हैं. किसानों ने बताया कि सब्जियों का निर्यात नहीं होने के कारण बेकार पड़ी सब्जियों को गाय, बैल और बकरियों को खिला रहे हैं.
लॉकडाउन में महुआ चुनने नहीं जा रहे लोग
लॉकडाउन को लेकर प्रखंड में महुआ के पेड़ के नीचे महुआ चुनने वाले नजर नहीं आ रहे हैं. एक जमाना था जब पौ फटते ही लोग महुआ के पेड़ के नीचे महुआ चुनने चले जाते थे और दिनभर महुआ चुनने में समय बिताते थे. लोग महुआ चुनने के लिए अपने घर से खाना बनाकर ले जाते थे. दिन भर महुआ चुनकर शाम को लौटते थे. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के प्रभाव एवं लॉकडाउन के कारण अधिकांश लोग महुआ के पेड़ के नीचे नहीं जा रहे हैं. बड़कागांव प्रखंड के ग्राम लाकरा, आराहारा, चेपाखुर्द, चेपाकलां, चिरुडीह बरवाडीह, पंकरी, बरवाडीह, महोदी, जुगरा, ओलवा पहाड़ आदि जगहों पर महुआ के कई पेड़ हैं, जहां से लोग महुआ चुनते थे.