विलुप्त हो गया गथौंनियां गर्म जलकुंड
कभी मकर संक्रांति पर लगती थी लोगों की भीड़, अब पड़ा है वीरान
कभी मकर संक्रांति पर लगती थी लोगों की भीड़, अब पड़ा है वीरान आनंद सोरेन : चरही. मकर संक्रांति के समय चुरचू प्रखंड का जोजोबेडा गांव स्थित गंधौनिया गर्म जलकुंड वीरान पड़ा है. दो साल पहले तक मकर संक्रांति पर यहां लोगों की भीड़ जुटती थी. इस गर्मकुंड में नहाने के लिए आसपास व दूर दराज के लोग पहुंचते थे. गंधौनिया गर्मकुंड में मकर संक्रांति के समय कई दुकानें सज जाती थी, लोग तीन दिनों तक मेला का आनंद लेते थे. लेकिन पिछले दो सालों से यह गर्मकुंड अचानक विलुप्त हो गया. गर्मकुंड की खासियत : इस गर्म कुंड के पानी में स्नान करने पर त्वचा रोग संबंधित सारे रोग दूर हो जाते थे. शुरू में यह जलकुंड छोटे गड्ढे आकार में था. ग्रामीणों ने इसके महत्व को समझते हुए उस स्थल की साफ करायी. पानी निकासी के लिए नाली का भी निर्माण किया गया. बाद में गर्म कुंड के बगल में ही और एक गर्म कुंड का पानी निकलने लगा. लोगों ने उस स्थल की भी साफ सफाई कर लोगों के लिए इसे तैयार किया. नियम बना दिया कि पहले वाले गर्मकुंड में महिलाएं और दूसरी वाले गर्म कुंड में पुरुष स्नान करेंगे. इस गर्मकुंड को विकसित करने व सुंदरीकरण के लिए स्थानीय विधायक मद से भी कार्य करा कर विकसित किया गया था. 14 जनवरी को लगता था मेला: 14 जनवरी को 15 माइल में हर वर्ष गधोनियां मेला का आयोजन किया जाता था. अब यह गर्म कुंड पूरी तरह से विलुप्त हो चुका है. दोनों कुंड में पानी पूरी तरह से सूख गया है. उस पर बड़ी- बड़ी झाड़ियां उग आयी हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि गर्म कुंड के बगल स्थित चितपूर्णी स्टील आयरन प्राइवेट कंपनी कोठियाटांड़ के एक खेत में लगभग 800 फीट बोरिंग कर दी गयी है. इस कारण गर्म कुंड के पानी का लेयर पूरी तरह से नीचे चला गया, जिसके कारण यहां का पानी सूख गया है. फैक्ट्री में कार्य कर रहे कुछ मजदूरों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि फैक्ट्री प्रबंधन जब बोरिंग का पानी चालू करता है, तो उसमें से अभी भी गर्म पानी निकलता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि यदि फैक्ट्री की बोरिंग पानी को एक हफ्ते के लिए रोक दिया जाये, तो अभी भी गर्म कुंड से पानी निकलने लगेगा. गंधोनिया गर्म कुंड पानी के संरक्षण के लिए किसी स्थानीय जनप्रतिनिधि भी कोई ध्यान नहीं दिया.
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