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शंकराचार्य के दार्शनिक सिद्धांतों का अध्ययन जरूरी : डॉ नकुल

संत कोलम्बा कॉलेज के दर्शनशास्त्र व संस्कृत विभाग की ओर से शनिवार को बीएड सभागार में शंकराचार्य के जीवन दर्शन पर संगोष्ठी हुई.

By Prabhat Khabar News Desk | May 11, 2024 4:49 PM

संत कोलंबा कॉलेज में आद्य शंकराचार्य जयंती पर संगोष्ठी

हजारीबाग.

संत कोलम्बा कॉलेज के दर्शनशास्त्र व संस्कृत विभाग की ओर से शनिवार को बीएड सभागार में शंकराचार्य के जीवन दर्शन पर संगोष्ठी हुई. अध्यक्षता डॉ जेआर दास ने की. कार्यक्रम में श्वेता व समूह ने सरस्वती वंदना, बुसरा समूह ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया. डॉ प्रदीप प्रसाद व डॉ सुबोध कुमार साहू ने संघ गीत प्रस्तुत किए. विभागाध्यक्ष ने शंकराचार्य के बाल्यकाल से लेकर 32 वर्ष की आयु में निधन तक के आध्यात्मिक यात्रा, उनके द्वारा लिखे गए भाष्य व अन्य ग्रंथ की रचना आदि पर विस्तार से चर्चा करते हुए विद्यार्थियों से इसका अध्ययन, अनुसंधान करते हुए अपने व्यवहारिक जीवन में उतारने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला.

मुख्य वक्ता डॉ अमित कुमार सिंह ने शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित अद्वैत वेदांत, उनके द्वारा भारतीय सनातन आध्यात्मिक परंपरा के पुनर्जागरण के लिए किए गए योगदान, उनके द्वारा स्थापित चार पीठो का उद्देश्य पर बहुत ही विस्तार से विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किए. डॉ नकुल पांडेय ने बताया कि विद्यार्थियों को इस प्रकार के प्रेरक आयोजनों में धैर्य पूर्वक शंकराचार्य के जीवन दर्शन एवं दार्शनिक सिद्धांतों का गहन अध्ययन करना होगा. उन्होंने बताया कि उनके आध्यात्मिक विचार आज भी पूरे विश्व के लिए प्रेरणाप्रद है. संचालन डॉ राज कुमार चौबे ने किया. सेवानिवृत्त बड़ा बाबू भीखू सिंह ने भजन की प्रस्तुति दी. धन्यवाद ज्ञापन परीक्षा नियंत्रक डॉ प्रदीप प्रसाद ने किया. मतदान के लिए जागरूक होने के लिए मतदाता प्रतिज्ञा भी कराई गयी. कार्यक्रम में स्नातकोत्तर संस्कृत के विभागाध्यक्ष डॉ नकुल पांडेय, दर्शनशास्र के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष, डॉ सुरेंद्र बरई, डॉ यामिनी सहाय, बीएड विभाग की प्रमुख सीआर जॉन, सेवानिवृत्त प्रो भोलानाथ सिंह बीएड विभाग के शिक्षक, विद्यार्थी में मुकेश कुमार, प्रदीप कुमार, सूरज यादव, वीरेंद्र कुमार, अभिषेक कुमार, सन्नी कुमार पांडेय समेत अन्य लोग उपस्थित थे.

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