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तीन करोड़ 70 लाख में बनी जलमीनार में एक बूंद भी पानी नहीं

पिछले दस दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी से लोग बेहाल हैं. सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक गर्मी का प्रचंड रूप दिख रहा है.

बरकट्ठा.

पिछले दस दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी से लोग बेहाल हैं. सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक गर्मी का प्रचंड रूप दिख रहा है. गर्म हवा व लू के चलने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गर्मी के कारण पानी की समस्या भी गहराने लगी है. पेयजल के लिए ग्रामीणों को दूर-दराज से जाकर पानी लाना पड़ रहा है. अधिकांश चापाकाल जवाब दे दिया है. कहीं-कहीं चापाकल से 10-15 बार चलाने से थोड़ा पानी निकल रहा है. पानी की सबसे अधिक समस्या सिझुआ, उपरेली डेबो, हेठली डेबो, पतितिरी, करंडो, पाला, गैड़ा, बसरामो, कपका समेत बरकट्ठा उत्तरी व दक्षिणी गांव में है. बरकट्ठा प्रखंड मुख्यालय परिसर स्थित जलमीनार दिल्ली की कुतुबमीनार की तरह खड़ा लोगों के दर्शनीय वस्तु बनकर रह गयी है. निर्माण के कुछ महीनों बाद से ही यह जलमीनार बंद है. लगभग तीन करोड़ 70 लाख की लागत से लोगों को घर-घर तक पानी पहुंचाने के उद्देश्य से बनाया गया था. पूरे बरकट्ठा बाजार व शहर में पाइप का जाल बिछाया गया जो बेकार है. गौरतलब हो कि जलमीनार के बने लगभग 15 वर्ष हो गये हैं. इस बाबत समाजसेवी दर्शन सोनी ने कहा कि इसको लेकर कई बार पेयजल स्वच्छता विभाग व वरीय पदाधिकारियों के बीच पत्राचार किया गया. लेकिन आज तक इस पर कोई अग्रतर कार्रवाई नहीं हो सकी है. मालूम हो कि शहर की अधिकांश आबादी के लिए पतालसुर स्थित जल झरना वरदान साबित हो रही है. सुबह से ही लोगों का पानी लेने के लिए भीड़ जमा रहती है. जनप्रतिनिधि व अधिकारी यदि इस पर ध्यान दें तो पानी की समस्या को बहुत हद तक दूर किया जा सकता है.

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