24 साल में एक बार हुई प्रधानाध्यापक की नियुक्ति, 117 पद खाली
जिले में प्राचार्य और हेडमास्टर के 117 पद खाली हैं.
जिले के 118 उवि, प्लस टू स्कूलों का हाल
प्रतिनिधि, हजारीबागजिले के अधिकांश माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में हेडमास्टर और प्राचार्य का पद लंबे समय से खाली है. राज्य बनने के बाद 24 वर्षों में एक बार 2007-08 में प्रधानाध्यापक/प्राचार्य की नियुक्ति हुई है. इसके बाद 16 वर्ष बीत गये. उवि में हेडमास्टर और प्लस टू स्कूलों में प्राचार्य के पदों पर बहाली नहीं नहीं हुई है. कुल 118 माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में मात्र एक जगह दारू प्रखंड के उवि महेशरा में हेडमास्टर कार्यरत है. वह परिसर के भीतर मौजूद प्लस टू विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य भी हैं. शेष 117 स्कूलों में हेडमास्टर/प्राचार्य का पद पूरी तरह खाली है. जिले के शिक्षा अधिकारियों ने जुगाड़ माध्यम से उवि और प्लस टू स्कूलों में हेडमास्टर और प्राचार्य के पदों को भरकर काम चला रहे हैं. इसमें कई तरह का विवाद है. कई स्कूलों में जूनियर को प्रभारी बनने से बड़ी संख्या में सीनियर शिक्षक नाराज हैं. वहीं, माध्यमिक शिक्षक संघ के अलग-अलग दो संगठनों ने हेडमास्टर एवं प्राचार्य के खाली पदों पर बहाली की मांग को लेकर आंदोलन का मन बनाया है. जिले में सबसे अधिक उत्क्रमित उवि 85 की संख्या में है. वहीं, राजकीयकृत उवि 17, राजकीय उवि दो व परियोजना उवि 14 मिलाकर माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक के कुल 118 स्कूल है. इसी में 49 स्कूल प्लस टू है.
कोट
वर्तमान समय अधिकांश स्कूलों में प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति एक बड़ा मुद्दा है. इधर-उधर की बात को छोड़कर सभी शिक्षक संगठनों को इस मुद्दे पर एक प्लेटफाॅर्म पर आना होगा. हेडमास्टर की अहर्ता रखने वाले शिक्षकों के साथ खिलवाड़ हो रहा है.
विजय मसीह, अध्यक्ष, झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ.
लंबे समय से स्कूलों में प्रधानाध्यापक की कमी के कारण शिक्षकों को वेतन सहित दूसरे सभी आवश्यक कार्य समय पर पूरा नहीं हो रहा है. प्रधानाध्यापक की नियुक्ति में अनुभव की समय सीमा पांच वर्ष करने की संगठन मांग की है. अभी अधिकांश स्कूलों में स्थायी रूप से प्रधानाध्यापक/प्राचार्य के नहीं रहने से विद्यालय विकास संबंधी निर्णय लेने में कठिनाई है. इससे कई स्कूलों का विकास कार्य ठप है. हेडमास्टर की अहर्ता रखने वाले शिक्षकों के साथ विभाग न्याय नहीं कर रहा है.