ममता का आंचल, कुछ कहूं या न कहूं… कविता सुनकर लोग हुए गदगद

झारखंड जन संस्कृति मंच की मासिक कवि सम्मेलन झारखंड पेंशनर कल्याण समाज कार्यालय में हुआ.

By Prabhat Khabar News Desk | May 14, 2024 4:21 PM

हजारीबाग.

झारखंड जन संस्कृति मंच की मासिक कवि सम्मेलन झारखंड पेंशनर कल्याण समाज कार्यालय में हुआ. अध्यक्षता सेवानिवृत्त वन अधिकारी अजय कुमार ने की. मुख्य अतिथि राजेंद्र विश्वकर्मा, अवकाश प्राप्त बैंक अधिकारी प्रमोद रंजन और शिक्षक-कवि विजय कुमार राणा थे. छात्रा राजश्री ने तीन कविता सुनाई. कवि विवेक ने ममता का आंचल, कुछ कहूं या न कहूं कविता सुनाया. क्षितिज ने तुझे सब है पता मेरी मां सुना कर खूब प्रशंसा पायी. अधिवक्ता अरविंद झा ने एक सपनवा चैता और लेखक अमरेज अंसारी ने प्यारी हिंदी और अन्य रचना, कवि संजीत ने मेरे भीतर बारिश और खोरठा कविता, रुबीना खातून ने शायरी और मां पर रचना सुनाकर खूब प्रशंसा पायी. मुनेश्वर सिंह मुन्ना ने मां स्वर्ग तुम्हारे चरणों में और मगही कविता बेटा साथ ही छात्रा कवयित्री लक्की कुमारी ने मां और अन्य रचनाओं का पाठ किया. छात्रा प्रियांशी कुमारी ने मां कविता और शायर गज़लकार आसिफ अंसारी ने कई गज़ल सुनाकर खुब प्रशंसा पायी. गोपी कृष्ण सहाय ने मैं प्रेम सुधा बरसा दुंगा व अन्य कई दार्शनिक रचना सुनायी. विजय कुमार राणा, प्रमोद रंजन, अजय कुमार, राजू विश्वकर्मा ने अपनी अपनी कविता सुनायी. कमला देवी, उषा सहाय, मुमताज खां, रामेश्वर गुप्ता, रामदास गोप और अन्य ने अपनी रचना सुनाकर सबकी प्रशंसा पायी. मंच संचालन डॉ प्रमिला कुमारी गुप्ता व धन्यवाद ज्ञापन शंकर गुप्ता ने किया. पेंशनर समाज के राज्याध्यक्ष गणेश प्रसाद के निधन पर शोक व्यक्त किया गया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version