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नशे में बर्बाद हो रही युवा पीढ़ी, पैसा, सेहत और प्रतिष्ठा लगा रहे दांव पर

नयी पीढ़ी के युवा तेजी से नशे की लत का शिकार हो रहे हैं. नशाखोरी का शिकार हो चुके युवा अपने साथ ही अपने परिवार के लिए भी मुसीबत बन रहे हैं.

अफीम, ब्राउन शुगर और गांजा के शिकार हो रहे युवा, परिवार हो रहा है बर्बाद

शंकर प्रसाद, हजारीबाग.

नयी पीढ़ी के युवा तेजी से नशे की लत का शिकार हो रहे हैं. नशाखोरी का शिकार हो चुके युवा अपने साथ ही अपने परिवार के लिए भी मुसीबत बन रहे हैं. नशे की लत में पड़कर अपनी सेहत, शोहरत, पैसा और प्रतिष्ठा तक दांव पर लगाने को तैयार हैं. नशे की लत का शिकार होने वाले सर्वाधिक युवा हैं, जिनकी उम्र 18-35 साल है. कई युवाओं की इन बुरी आदतों के चलते उनका परिवार बर्बादी की कगार पर आ गयी है. हजारीबाग जिले में धड़ल्ले से अफीम, ब्राउन शुगर और गांजा का कारोबार हो रहा है. नशा के आदी युवा अब सड़कों पर छिनतई, लूट, चोरी और अन्य आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. छिनतई और चोरी मामले में पकड़े गये कई आरोपियों ने पुलिस के समक्ष खुलासा किया है कि ब्राउन शुगर खरीदने के लिए ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं.

केस स्टडी-01

मुफ्फसिल थाना क्षेत्र में रहनेवाला एक व्यक्ति का बेटा नशा का आदी हो गया है. नशा से मुक्त करने के लिए उसने अपने पुत्र को दो महीने तक नशा मुक्ति केंद्र में रखवाया. नशा मुक्ति केंद्र से आने के बाद वह फिर नशा करने लगा. जब उसे ब्राउन शुगर खरीदने के लिए रुपये नहीं मिले तो वह चोरी का प्रयास किया. उसका पिता ने उसे मुफ्फसिल थाना को सौंप दिया. उसे नशा से होनेवाले नुकसान की जानकारी देकर छोड़ा गया. नाम नहीं छापने की शर्त पर उसका पिता ने बताया कि उसे सुधारने के लिए काफी रुपये खर्च किये हैं. पुत्र को नशा से छुटकारा दिलाने के लिए पूरा परिवार परेशान हैं.

केस स्टडी- 02

ब्राउन शुगर की लत ने युवक को गार्ड की नौकरी करने पर विवश कर दिया. वह एक प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनी में सुरक्षा प्रहरी हो गया. धीरे-धीरे वह शारीरिक रूप से कमजोर हो गया. बीमार होने के बाद नौकरी से हाथ धो बैठा. अब उसके पास ब्राउन शुगर खरीदने के लिए रुपए कम पड़ने लगे. इसके बाद परिवार में परेशानियों का दौर शुरू हुआ. उसका पूरा परिवार परेशान रहने लगा. यूं कहें तो तबाह होने लगा. वह रोज शाम में मां-बाप से रुपये की डिमांड करने लगा, जब नहीं मिलते तो मारपीट पर उतारू हो जाता. इसके बाद परिवार वाले उसे रांची स्थित रिम्स में इलाज के लिए भर्ती कराया.

केस स्टडी- 03

ब्राउन शुगर का आदी एक नौजवान का कॅरियर चौपट हो गया. वह बड़ी बाजार टीओपी क्षेत्र का युवा है. वह कंप्यूटर का अच्छा जानकर है. कई वर्षों तक वह कैफे चलाया. इसी क्रम में उसे नशे की लत लग गयी. हालांकि उसका परिवार नशे की लत को दूर करने के लिए हर प्रयास किया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. अंतत: उसका दिमागी हालत खराब हो गया. परिवार वाले रांची स्थित सीआइपी में भी इलाज कराये, लेकिन कुछ फायदा होता नहीं दिख रहा है. इस कारण अब पूरा परिवार परेशान रहता है.

पैसे वाले युवाओं को आदी बनाते हैं एजेंट.

ब्राउन शुगर का आदी बन चुका एक युवक ने बताया कि एजेंट अपने आसपास के युवाओं की प्रोफाइल की जानकारी करते हैं. इसके बाद उससे दोस्ती करते हैं. नशे का आदी बन चुके युवाओं के साथ पार्टी कर धीरे-धीरे उसे अपने जाल में फंसाते हुए उसको नशे की लत पकड़वाते हैं. इसके बाद शुरू होता है पैसे का खेल. ब्राउन शुगर को बीएस के नाम से बेचा जाता है. नशा के कारोबारी युवाओं को डॉट मेजरमेंट के हिसाब से बेचते हैं. यूं कहें की माइक्रो ग्राम के हिसाब से ब्राउन शुगर बेची जाती है. प्रति माइक्रो ग्राम ब्राउन शुगर 1200 -1600 रुपये में बेची जाती है. नशा कारोबारी युवाओं को घर के निकट ब्राउन शुगर पहुंचाते है. एडिक्ट लोगों को व्हाट्सेप पर कोडवर्ड में मैसेज भेजकर ब्राउन शुगर को पहुंचाया जाता है. पेडलर बाइक से नशीले पदार्थ को पहुंचाते हैं.

शहर से गांव, पार्क से स्कूल तक बीएस की बिक्री.

नशा कारोबारी शहरी क्षेत्र के हुरहुरू सेमेटरी रोड, खिरगांव पुलिया, झील, महतो पार्क, दिपुगढ़ा, कोनार पुल के समीप, मतवारी, गांधी मैदान, डेमोटांड़, लाखे, ओरिया, पेलावल, अंसार नगर, कूद रेलवे स्टेशन के समीप, रोला, डिस्ट्रिक्ट बोर्ड चौक समेत कई जगहों पर आसानी से ब्राउन शुगर (बीएस) को युवाओं को आपूर्ति किया जाता है. नशीली पदार्थों को आमतौर पर चार भागों में बांटा जाता है. अफीम से बने मार्फिन, कोडीन, हीरोइन और ब्राउन शुगर. ब्राउन शुगर एक उजला नशीला पदार्थ होता है. फॉयल पेपर के सहारे ब्राउन शुगर का नशा किया जाता है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट आप भी जानिए.

मनोरोग विशेषज्ञ डॉ प्रमोद गुप्ता का कहना है कि अवसाद को पहचानना बेहद आवश्यक है. इस दौरान आदमी डिप्रेशन का शिकार हो जाता है, आत्महत्या या फिर किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए आमदा हो जाता है. अवसाद के दौरान शारीरिक दुर्बलता, एकाग्र न होना, यादाश्त में कमी आना, मन उदास रहना, कार्य के प्रति इच्छा नहीं रहना अपने जीवन को मूल्यहीन समझाना जैसी बातें दिखाई देती है. यदि परिवार के सदस्यों में ऐसे लक्ष्ण देखें तो सबसे पहले यह पता लगाएं कि उस व्यक्ति को नशे की आदत तो नहीं है. इसके बाद भी अगर समझ न आए तो विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श लें.

हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान :

राज्य में फैलते नशा के कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए रांची हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए पुलिस महकमे को निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने निर्देश जारी किया है कि नशीले पदार्थ के कारोबार पर रोक लगाने के लिए अभियान के तौर पर छापामारी करें.

पुलिस ने कई पेडलर को भेजा जेल.

पुलिस ने ब्राउन शुगर, अफीम और गांजा का कारोबार करने वाले कई पेडलरों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. इसमें सबसे अधिक आरोपी पेलावल, कोर्रा, मुफ्फसिल और बड़ी बाजार टीओपी क्षेत्र में पकड़े गए हैं. पकड़े गए नशा के कारोबारियों पर एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जेल भेजा है. हजारीबाग एसपी अरविंद कुमार सिंह और सदर एसडीपीओ कुमार शिवाशिश के नेतृत्व में कई बार छापेमारी कर नशा के कारोबारी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है.

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