हजारीबाग के लगभग 1500 सरकारी स्कूल (कक्षा एक से आठवीं) में अध्ययनरत 1.75 लाख नौनिहालों को चालू सत्र 2023-24 में किताबें नहीं मिली हैं. कोरोना के कारण सत्र में बदलाव हुआ है. एक जून 2023 से नये सत्र की शुरुआत की गयी है. शुक्रवार तक 37 दिन नये सत्र के बीत गये, लेकिन बच्चों को किताबें नहीं मिली हैं. दूसरी ओर कक्षा पहली, दूसरी, पांचवीं और आठवीं की हिंदी व उर्दू किताबें (सेट) प्रखंड मुख्यालय स्थित बीआरसी भवन में उपलब्ध होने के बावजूद वितरण नहीं किया गया है.
इसके लिए शिक्षक संगठनों ने जिला शिक्षा अधीक्षक को दोषी बताया. अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष प्रवीण कुमार ने कहा कि किताब वितरण में डीएसइ रुचि नहीं ले रहे हैं. समय पर विद्यार्थियों को मिलने की बजाय बीआरसी भवन में पड़ी किताबों पर धूल जम रहा है.
सरकारी स्कूल में पढ़नेवाले विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष नि:शुल्क किताबें मिलती हैं. यह किताबें बाजार में उपलब्ध नहीं हैं. इस कारण अभिभावक अपने बच्चों के लिए चाह कर भी किताबें नहीं खरीद सकते हैं. झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यालय से रिपोर्ट के अनुसार, पहली कक्षा की किताब 22 जून को आयी है. इसमें चलकुशा व टाटीझरिया प्रखंड को किताबें नहीं मिली हैं.
शेष 14 प्रखंड सदर, दारू, कटकमदाग, कटकमसांडी, बरकट्ठा, चौपारण, बरही, बड़कागांव, दारू, डाडी, पदमा, इचाक, केरेडारी एवं विष्णुगढ़ की किताबें बीआरसी भवन में रखी हैं. कक्षा दूसरी की किताबें 19 जून को आयी हैं. इसमें भी चलकुशा व टाटीझरिया को छोड़ सभी 14 प्रखंड के बीआरसी भवन में किताबें उपलब्ध हैं. वहीं, कक्षा पांचवीं की किताब 28 जून और कक्षा आठवीं की किताब चार जुलाई को आयी है. कक्षा पांचवीं और आठवीं की किताब कुछ ही प्रखंड को मिल पाया है.
शहरी क्षेत्र के दीपूगढ़ा स्थित प्राथमिक विद्यालय के कक्षा तीन की छात्रा कंचन कुमारी ने कहा कि अभी तक किताबें नहीं मिली हैं. बगैर किताब के पढ़ाई नहीं हो रही है. प्रतिदिन स्कूल इस आशा में आते हैं कि किताबें मिलेंगी. किताब नहीं रहने से पढ़ाई करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. शिक्षिका कारोलिना कुजूर ने कहा कि जुगाड़ माध्यम से विद्यार्थियों को किताबें उपलब्ध की गयी हैं. पूर्व के विद्यार्थियों से किताबें वापस ली गयी हैं. इसे ही वर्तमान में विद्यार्थियों को दिया गया है. इसमें कुछ फटी-पुरानी किताबें शामिल हैं.