हजारीबाग : कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेज एंड हॉस्पिटल कैंपस स्थित श्रीनिवास सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च एंड डेवलपमेंट, मॉलेक्यूलर लैब का उद्घाटन 17 सितंबर को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बन्ना गुप्ता ने किया. यहां विधायक उमाशंकर अकेला यादव, सिविल सर्जन संजय जायसवाल, डीएसपी कमल किशोर, हॉस्पिटल के सचिव डॉ प्रवीण श्रीनिवास, सतीश गिरजा, शेखर चौधरी समेत कई चिकित्सक उपस्थित थे.
मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि आरटी पीसीआर मशीन अस्पताल में लगाया जाना स्वागत योग्य कदम है. इस महामारी के समय में कोरोना जांच की सुविधा कैसे बढ़े, यह हमारी प्राथमिकता है. हमें सरकारी-गैर सरकारी में भेदभाव नहीं करना है. कोविड 19 को लेकर आरटी पीसीआर मशीन और ब्लड बैंक की सुविधा श्रीनिवास हॉस्पिटल में उपलब्ध है.
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव और हजारीबाग के उपायुक्त से कहा गया है कि अस्पताल के इन संसाधनों का इस्तेमाल महामारी के समय में ज्यादा हो. मंत्री ने श्रीनिवास ब्लड बैंक द्वारा प्लाज्मा एफ्रेसिस कार्य को वर्तमान में जरूरत बताया.
सचिव डॉ प्रवीण श्रीनिवास ने कहा कि श्रीनिवास सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च एंड डेवलपमेंट में अब कोविड-19 की गोल्ड स्टैंडर्ड विधि आरटीपीसीआर से जांच की जायेगी. प्रयोगशाला में एक्सपर्ट मौजूद हैं, जिनमें डॉ अरविंद देवजी भाई ननेरा, डॉ मो खालिद और डॉ माल्वा श्री समेत कई विशेषज्ञ पारा मेडिकल कर्मी सेवा देंगे.
श्रीनिवास हॉस्पिटल की ओर से जरूरत पड़ने पर लोगों के घर जाकर कोरोना जांच का सैंपल लिया जायेगा. इसके साथ ही एससीएसआरडी होम क्वारेंटाइन हुए कोविड के मरीजों को कई तरह की सुविधा घर में उपलब्ध करायी जायेगी. डॉक्टर से परामर्श, नर्सिंग, दवा, सैनिटाइजेशन जैसी सुविधाएं होंगी. इसके लिए कई तरह के पैकेज हैं. मरीज बजट के अनुसार पैकेज चुन सकते हैं.
संस्था के सीइओ शेखर चौधरी ने कहा कि श्रीनिवास ब्लड बैंक में प्लाज्मा एफ्रेसिस भी शुरू हो गयी है, जिसके तहत कोई व्यक्ति अगर कोविड-19 संक्रमण से ठीक होकर 14 से 28 दिन पूरा कर लिया है. प्लाज्मा दान करके किसी कोविड-19 संक्रमित की जिंदगी बचा सकता है. प्लाज्मा एफ्रेसिस के लिए उम्र सीमा 18 से 65 वर्ष है. साथ ही संक्रामक रोग, हृदय रोग, मधुमेह, थायरॉयड, एचसीबी बीमारी से ग्रसित नहीं होना चाहिये. प्लाज्मा देनेवाले व्यक्ति का वजन 50 किलो से ऊपर होना अनिवार्य है.
posted by : sameer oraon