Jharkhand news, Hazaribagh news : इचाक (रामावतार स्वर्णकार) : हजारीबाग जिला अंतर्गत इचाक प्रखंड स्थित डाढा गांव के फरजाही घने जंगल के बीच में करीब 100 एकड़ वनभूमि में लगे पेड़ को काटकर कुछ लोगों ने खेत में तब्दील कर दिया. अब इस जमीन पर बड़े-बड़े पेड़ों की जगह धान, मक्का, आलू समेत अन्य फसल देखने को मिल रहा है. इस बात का खुलासा तब हुआ जब करीब 2 एकड़ वनभूमि पर लगे पेड़ को काट कर जला दिया. विरोध में ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियों को दिया. वनभूमि के पेड़ों को काट कर खेती में उपयोग करने का आरोप मूर्तिया टोला के तुलसी भुईयां पिता खेदू भुईयां समेत उनके अन्य चारों भाइयों नारायण भुईयां, रेवा भुईयां, हिरामन भुईयां एवं अमृत भुईयां पर लगा है. वहीं, ग्रामीणों के आरोप को खारिज करते हुए तुलसी भुईयां ने इसे पूर्वजों को दाखिल कब्जा बताया है.
सूचना मिलते ही गुरुवार को जंगल का जायजा लेने के लिए वनरक्षी वीरेंद्र कुमार एवं विद्याभूषण स्थल पर पहुंचे. वन रक्षियों के मुताबिक, अभी हाल फिलहाल ही योगदान देने के कारण विशेष जानकारी नहीं दे सकता, लेकिन वनभूमि पर पेड़ों को काट कर खेती करने की जानकारी वरीय अधिकारियों को दी जायेगी. इस दौरान काटे गये पेड़ एवं अतिक्रमण किये गये वनभूमि को दिखाने के लिए करीब 200 ग्रामीण जंगल पहुंच कर विरोध जताया एवं अवैध कब्जा से वनभूमि को मुक्त कराने की मांग वन प्रमंडल पदाधिकारी से किया है .
डाढा गांव के रीतलाल महतो, मुकेश कुमार, गानों महतो, पुरन महतो, सीताराम मेहता, बिशेश्वर प्रसाद, तुलसी प्रसाद मेहता समेत काफी संख्या में ग्रामीणों ने कहा कि वर्ष 2014 में करीब 50 एकड़ भूमि पर करीब 5 लाख पौधे लगाये थे. वन भूमि की मापी कर ट्रेंच की खुदाई भी करायी गयी थी, लेकिन वनरोपन के कुछ दिनों बाद ही सभी पौधे को उखाड़ कर तुलसी भुईयां एवं उनके भाइयों ने फेंक दिया और खेती करने लगा. इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियों को भी दी गयी, लेकिन इन पेड़ों को बचाने को कोई तत्पर नहीं दिखा.
इस संबंध में तुलसी भुईयां ने कहा कि इस भूमि पर मेरे पूर्वज का दखल कब्जा है. वर्षों से खेती कर रहे हैं. जीविकोपार्जन के लिए हम पांचों भाई परिवार समेत मेहनत कर खेती कर रहे हैं. वन वृक्ष को काटना जुर्म है के सवाल पर उसने कहा कि अब आगे से पेड़ को नहीं काटेंगे.
Also Read: भारी बारिश से ढह गयी झमारिया चेकडैम का तटबंध, खेतों में पहुंचा पानीवहीं, डीएफओ आरएन मिश्रा ने कहा कि इसकी जानकारी अभी ही मिल रही है. चौपारण में होने के कारण विशेष नहीं बता सकता. लेकिन, विभागीय अधिकारियों से बात की जायेगी. वनभूमि पर अवैध कब्जा एवं काटे गये जंगल की जांच की होगी. इसके बाद वनभूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया जायेगा.
Posted By : Samir Ranjan.