बड़कागांव में 7 गांवों के ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना जारी, कोयले की ट्रांसपोर्टिंग पर पड़ रहा प्रभाव
Jharkhand news, Hazaribagh news : कोल माइंस कंपनियों तथा विस्थापित- प्रभावित रैयतों के लिए बनी उच्चस्तरीय कमेटी द्वारा निर्णय नहीं मिलने के कारण प्रखंड के 7 गांवों के प्रभावित, ग्रामीण एवं रैयतों द्वारा अनिश्चितकालीन धरना जारी है. विगत 31 अगस्त, 2020 से शुरू हुए इस धरने को लेकर किसानों, रैयतों और प्रभावितों से वार्ता के लिए अब तक सरकारी पहल नहीं हुई है. वहीं, एनटीपीसी के त्रिवेणी सैनिक द्वारा संचालित चिरुडीह कोल माइंस से कोयला ट्रांसपोर्टिंग बंद है, जिससे अरबों का नुकसान का अनुमान है.
Jharkhand news, Hazaribagh news : बड़कागांव (संजय सागर) : कोल माइंस कंपनियों तथा विस्थापित- प्रभावित रैयतों के लिए बनी उच्चस्तरीय कमेटी द्वारा निर्णय नहीं मिलने के कारण प्रखंड के 7 गांवों के प्रभावित, ग्रामीण एवं रैयतों द्वारा अनिश्चितकालीन धरना जारी है. विगत 31 अगस्त, 2020 से शुरू हुए इस धरने को लेकर किसानों, रैयतों और प्रभावितों से वार्ता के लिए अब तक सरकारी पहल नहीं हुई है. वहीं, एनटीपीसी के त्रिवेणी सैनिक द्वारा संचालित चिरुडीह कोल माइंस से कोयला ट्रांसपोर्टिंग बंद है, जिससे अरबों का नुकसान का अनुमान है.
7 गांव के ग्रामीण दे रहे हैं धरना
अपनी मांगों के समर्थन में बड़कागांव के पंकरी बरवाडीह, सिंदवारी, आराहरा, चेपाखुर्द, चेपकलां, डाड़ीकलां एवं सीकरी गांवों के ग्रामीण, रैयत और प्रभावितों का धरना जारी है.
क्यों धरना दे रहे हैं रैयत
धरना में मुख्य रूप से सिंदवारी के प्रभावित रैयत के अध्यक्ष प्रदीप कुमार महतो, सचिव प्रमोद कुमार दास, संजीत राणा, आशीष कुमार कुशवाहा, मो नासिर, सोनू वर्मा, मो रिजवान, मो ऐनन, दिलेश्वर कुमार कुशवाहा, महेंद्र वर्मा, महफूज अंसारी समेत अन्य किसानों का कहना है कि विस्थापित, प्रभावित रैयतों एवं पर्यावरण हित के लिए आयुक्त की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी बनी थी. इसमें विधायक अंबा प्रसाद के अलावा एनटीपीसी के त्रिवेणी सैनिक और कई अधिकारी शामिल थे. उक्त कमेटी द्वारा 8 अगस्त को प्रखंड मुख्यालय में रैयतों एवं जनप्रतिनिधियों से राय ली गयी थी, जिसमें आयुक्त कमल जॉन लकड़ा द्वारा 2013 अधिनियम लागू करने का आश्वासन दिया गया था. कमेटी द्वारा गहन जांच- पड़ताल की गयी. लेकिन, इस संबंध में रैयतों को कोई जानकारी नहीं मिल पायी है. कमेटी द्वारा यह भी बताया गया था कि अगर अगस्त तक रिपोर्ट जारी नहीं किया जाता है, तो आप धरना देने के लिए स्वतंत्र होंगे. रैयतों ने कहा कि अब तक समस्या का समाधान नहीं होने से वो सब अनिश्चितकालीन धरना पर बैठ गये हैं.
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विस्थापित- रैयत समिति की मांग
विस्थापितों एवं रैयत समिति की मांग के तहत भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत मुआवजा, 18 वर्ष से अधिक आयु वाले युवाओं को नौकरी, कार्य क्षेत्रों में एक समान ग्रेड के वर्करों को एक समान वेतन, पुनर्वास के लिए प्रत्येक एकल परिवारों को हजारीबाग शहर से 5 किलोमीटर के रेडियस में प्रति परिवार 10 डिसमिल जमीन का भू-खंड तथा आवास बनाने की राशि, आवंटित पुनर्वास स्थल में सड़क, बिजली, पानी, उच्चतर शिक्षा एवं स्वास्थ्य आदि की सुविधा निःशुल्क देना, आवंटित पुनर्वास स्थल में सामुदायिक एवं धार्मिक कार्यों के लिए सामुदायिक भवन, मंदिर, मस्जिद, श्मशान घाट, कब्रिस्तान, खेल का मैदान, तालाब आदि की व्यवस्था, पूर्व में फर्जी तरीके से हस्तांतरित वन भूमि एवं गैरमजरूआ भूमि के हस्तांतरण को रद्द करना, नये सिरे से वन भूमि एवं गैरमजरूआ भूमि के हस्तांतरण की प्रक्रिया करने, पूर्व में फर्जी तरीके से हुए सर्वेक्षण को रद्द करते हुए नये सिरे से विस्तृत सर्वेक्षण कराने, एनटीपीसी से संबंधित जितने भी केस हैं उन सभी केस को वापस लेने, फर्जी केस से पीड़ित सभी व्यक्तियों को क्षतिपूर्ति का भुगतान करने, विस्थापित परिवारों को विस्थापन प्रमाण पत्र निर्गत करने, भविष्य में विस्थापित परिवारों के वंशजों को स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र सहित सभी प्रकार के प्रमाण पत्र निर्गत करने एवं जंगल जाने के मार्ग पर लगाये गये रोक को हटाने की मांग मुख्य है.
Posted By : Samir Ranjan.