मध्यपाषाण युग की ‘इसको गांव’ खो रही है अपनी पहचान, जानें कैसे…

Jharkhand news, Hazaribagh news : हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड का इसको गांव बुनियादी सुविधाओं के अभाव में आज अपनी पहचान खोती जा रही है. इसको गांव से प्राचीन मानव सभ्यता की शुरुआत हुई थी. इसका प्रमाण आज भी यहां विशाल इसको गुफा एवं शैल दीर्घा अवस्थित है. बड़कागांव प्रखंड का सुदूर इसको गांव पहाड़ी तलहटी में बसा हुआ है. मध्यपाषाण युग की इसको गांव अपनी शैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 13, 2020 4:39 PM
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Jharkhand news, Hazaribagh news : बड़कागांव (संजय सागर) : हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड का इसको गांव बुनियादी सुविधाओं के अभाव में आज अपनी पहचान खोती जा रही है. इसको गांव से प्राचीन मानव सभ्यता की शुरुआत हुई थी. इसका प्रमाण आज भी यहां विशाल इसको गुफा एवं शैल दीर्घा अवस्थित है. बड़कागांव प्रखंड का सुदूर इसको गांव पहाड़ी तलहटी में बसा हुआ है. मध्यपाषाण युग की इसको गांव अपनी शैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध है.

बड़कागांव प्रखंड मुख्यालय से करीब 22 किमी दूर अवस्थित है इसको गांव. यह गांव नापोकला पंचायत में आता है. इस गांव में आज भी सड़क, नाली, स्वास्थ्य केंद्र समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. बिजली भी 1- 2 घंटे ही मिलती है. क्षेत्र में बेरोजगारी का आलम है.

5 हजार साल से अधिक पुराना है इसकाे गुफा

इतिहासकारों के मुताबिक, बड़कागांव का इसको गुफा 5 हजार साल से भी अधिक पुराना है. बादाम के राजा इस गुफा का उपयोग किया करते थे. आज भी आपको इस गुफा के चट्टानों पर कई कलाकृतियां उकेरी हुई मिलेंगी.

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सातवीं पास गांव के शशि उरांव ने बताया कि यह गांव शिक्षा के क्षेत्र में काफी पिछड़ा हुआ है. गरीबी के कारण यहां के युवा पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. यहां उत्क्रमित मध्य विद्यालय 2018 में बना, लेकिन यहां छठी क्लास तक की ही पढ़ाई होती है. मैट्रिक पास 4 -5 लोग ही इस गांव में हैं. दूसरे गांव से जिन महिलाओं की यहां शादी हुई है उनमें से लगभग 3-4 महिला ही बीए पास है.

ग्रामीण सुरेश उरांव कहते हैं कि इस गांव में 75 घर है, जिसमें से 40 मुंडा एवं 35 उरांव जाति के लोग निवास करते हैं. यहां के लोगों का मुख्य पेशा मजदूरी करना, महिलाओं के लिए रस्सी एवं चटाई बनाना है. यहां विकास के नाम पर बिजली के तार एवं खंभे हैं, लेकिन एक या 2 घंटे ही बिजली मिल पाती है.

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ग्रामीण संजय उरांव का कहना है कि इंदिरा आवास एवं पीएम आवास का लाभ मात्र 35 लाभुकों को ही मिला है. वहीं, शौचालय 30 घर को ही मिल पाया है. वह भी जर्जर स्थिति में है. शौचालय निर्माण 2018 में हुआ था, लेकिन यह शौचालय अब कोई काम का नहीं है. उन्होंने कहा कि यहां कुल 3 चापाकल है, जिसमें से 2 चापाकल चालू है. डीप बोरिंग भी कराया गया, लेकिन अधूरा पड़ा है. जलमीनार भी अधूरा है. 4-5 कुएं हैं, जिसमें से 2 कुएं से ही पीने योग्य पानी का उपयोग किया जाता है.

Posted By : Samir Ranjan.

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