हजारीबाग पुलिस केंद्र में पुलिस कर्मी रामकुमार महतो की मौत की जानकारी आठ घंटे बाद पुलिस अधिकारियों को मिली. हजारीबाग पुलिस केंद्र सबसे सुरक्षित स्थान है. पुलिस केंद्र के बैरक में 100 से अधिक पुलिस कर्मी व पुलिस पदाधिकारी रहते हैं. इसके बाद भी किसी को इंसास राइफल फायरिंग की आवाज सुनायी नहीं दी. इस संबंध में लोगों का कहना है कि रामकुमार महतो की मौत ने पुलिस लाइन की सुरक्षा की पोल खोल दी है. जब पुलिस केंद्र ही सुरक्षित नहीं है, तो हजारीबाग शहर व आसपास का क्षेत्र कैसे सुरक्षित रहेगा.
विधान सभा कमेटी में पुलिस लाइन से 1-4 के पुलिस जवानों की ड्यूटी लगायी गयी थी. एस्कॉर्ट ड्यूटी में एक पुलिस पदाधिकारी व चार पुलिस कर्मी रहते हैं. अब अहम सवाल यह है कि पुलिस लाइन स्थित शस्त्रागार में चार पुलिस जवानों को अपना हथियार जमा करना था. पुलिस रामकुमार महतो अकेले अपना हथियार जमा करने के लिए क्यों जा रहा था. बाकी के तीन जवान साथ में क्यों नहीं थे. पुलिस सूत्रों के अनुसार, घटना के समय पुलिस लाइन में बिजली गुल थी. तब क्या राम कुमार महतो अंधेरे में सर्विस राइफल से मैगजीन निकाल रहा था.
हजारीबाग पुलिस केंद्र चारों ओर दीवारों से घिरा हुआ है. शस्त्रागार में 24 घंटे पुलिस कर्मी की ड्यूटी रहती है. रात में पुलिस केंद्र के गेट पर संतरी ड्यूटी करता है. घटना पुलिस केंद्र के बीच स्थित चबूतरा पर राइफल से गोली चलती है. इसमें पुलिस जवान की मौत हो जाती है. इसके बावजूद राइफल से गोली चलने की आवाज किसी ने नहीं सुनी, यह जांच का विषय है.
पुलिस जवान की मौत को लेकर जांच दल का गठन किया गया है. जांच दल को दो दिन के बाद भी कोई सुराग नहीं मिला है. जांच की बिंदुओं को गोपनीय रखी जा रही है. गाैरतलब हो कि 12 अगस्त सुबह पुलिस कर्मी रामकुमार महतो का शव पुलिस केंद्र में मिला था.