भगवान बुद्ध की तरह अपनी चिंतन शक्ति बढ़ायें : वीसी
गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में गुरुवार को बुद्ध जयंती सह कॉलेज का 17वां वार्षिकोत्सव समारोह मनाया गया.
बुद्ध का शुद्ध संदेश मध्यम मार्ग आज पूरी दुनिया की डिप्लोमेसी : डॉ सुनील
पुस्तक 21वीं सदी नयी शिक्षा नीति : चुनौती और संभावनाएं का विमोचन
प्रतिनिधि, हजारीबागगौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में गुरुवार को बुद्ध जयंती सह कॉलेज का 17वां वार्षिकोत्सव समारोह मनाया गया. मुख्य अतिथि आइसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो प्रमोद कुमार नायक ने कहा कि खुद पर भरोसा रखें और भगवान बुद्ध की भांति अपनी चिंतन शक्ति बढ़ायें. इससे भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा. वास्तविकता के साथ जीने की कोशिश करें, तभी मानसिकता में परिवर्तन होगा. खुद के मिले ज्ञान को दूसरों में परिवर्तित करने की कला ही अच्छे शिक्षक बनने के गुण हैं. विशिष्ट अतिथि विनोबा भावे विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ सुनील कुमार दूबे ने कहा कि भगवान बुद्ध की विचारधाराओं को गहराई से समझने और उसे आत्मसात करने की जरूरत है. बुद्ध का शुद्ध संदेश मध्यम मार्ग आज पूरी दुनिया की डिप्लोमेसी बनी हुई है. एनटीपीसी पकरी बरवाडीह बड़कागांव के अपर महाप्रबंधक एचआर अमित कुमार अस्थाना ने भी भगवान बुद्ध के दिए उपदेश पर अनुशरण करने की जरूरत बतायी. विभावि के पूर्व कुलसचिव डॉ बंशीधर प्रसाद रूखैयार ने कहा कि बुद्ध के उपदेश पर पूरी दुनिया को चलने का संदेश देने के लिए शक्तिशाली होना आवश्यक है. भगवान बुद्ध के दिए संदेश अहिंसा और मध्यम मार्ग पर आज पूरी दुनिया चल रही है. विभावि के हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ सुबोध सिंह शिवगीत ने सरकार से मांग की कि इटखोरी के बताए गए इतिहास को बदले और उसके नामकरण की वास्तविकता से लोगों को अवगत कराएं. बुद्ध का ‘इति खोयी’ की जगह ‘इति छोड़ी’ शब्द का इस्तेमाल करें. भगवान बुद्ध ने लंबा समय हजारीबाग और आसपास के क्षेत्रों में बिताया, पुरातात्विक अवशेषों से ऐसे संकेत मिलते हैं.
वर्ष 2007 में हुई थी कॉलेज की स्थापना :
सभा की अध्यक्षता करते हुए विभावि के पूर्व अभिषद सदस्य सांवरमल अग्रवाल ने कहा कि बुद्ध के संदेश मध्यम मार्ग को आत्मसात कर ही आगे बढ़ा जा सकता है. महाविद्यालय प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि वैदिक धर्म के विरोध का सबसे बड़ा झंडा बुद्ध ने उठाया था, फिर भी उनका संदेश ऐसा है कि उनसे हमारे देश की पहचान है. बुद्ध ने शांति के लिए मध्यम मार्ग अपनाना ही जीवन का सार बताया था. किसी भी व्यक्ति को सफल बनने से ज्यादा जरूरी उसका उपयोगी बनना है. स्वागत भाषण करते हुए महाविद्यालय प्रबंधन समिति के सचिव मिथिलेश मिश्र ने बताया कि वर्ष 2007 में बुद्ध जयंती के दिन ही कॉलेज की स्थापना हुई थी और अनुशासन, नियमित प्रशिक्षण और हर विधा में प्रशिक्षुओं को पारंगत बनाना ही पूरे झारखंड-बिहार में कॉलेज की अपनी अलग पहचान है.पुस्तक का विमोचन :
अतिथियों ने कॉलेज की ओर से प्रकाशित पुस्तक 21वीं सदी नयी शिक्षा नीति : चुनौती और संभावनाएं का विमोचन किया. वहीं, विभिन्न विधाओं में अपनी मेधा का प्रदर्शन करनेवाले प्रशिक्षुओं को पुरस्कृत किया.रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम :
कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों ने कॉलेज कैंपस में स्थापित भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष पुष्पार्चन किया. मौके पर प्रशिक्षुओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम से सतरंगी छटा बिखेरी. प्रशिक्षुओं ने गीत, नृत्य, संगीत और भगवान बुद्ध के संदेशों से समां बांध दिया. मंच संचालन प्रीति कुमारी, कुमारी श्वेता व कोमल कुमारी और धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य डॉ अरविंद कुमार यादव ने किया. मौके पर पूरा कॉलेज परिवार उपस्थित था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है