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दूध बेचकर अच्छी कमाई कर रहे बड़कागांव के किसान

गुड़ उत्पादन के क्षेत्र में राज्य में बड़कागांव की अपनी एक अलग पहचान है. इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए यह प्रखंड श्वेत क्रांति की ओर अग्रसर है.

प्रतिनिधि, बड़कागांव

गुड़ उत्पादन के क्षेत्र में राज्य में बड़कागांव की अपनी एक अलग पहचान है. इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए यह प्रखंड श्वेत क्रांति की ओर अग्रसर है. बड़कागांव के किसान दूध का उत्पादन के क्षेत्र में अब आगे बढ़ रहे हैं. विभिन्न गांवों में व्यापक पैमाने पर दूध का उत्पादन होने लगा है. दुग्ध उत्पादक अरुण महतो के अनुसार बड़कागांव में लगभग डेढ़ सौ से अधिक खटाल है. दूध से बने खोआ, पनीर, दही, मक्खन का भी कारोबार लगातार बढ़ रहा है. इससे बेरोजगारी में कमी आयी है. लगभग हजारों लीटर दूध का उत्पादन होता है. दूध उत्पादक मनोज कुमार के अनुसार प्रतिदिन बड़कागांव के दूध क्रय केंद्र से 350 से चार हजार लीटर दूध कोडरमा व रांची के लिए निर्यात होता है. वहीं, गांवों में भी दूध की खपत बड़े पैमाने पर हो रही है. किसानों को हर दिन अच्छी कमाई हो रही है.

कहां-कहां होता है निर्यात :

बड़कागांव में दो कलेक्शन सेंटर खुले हैं. झारखंड सरकार द्वारा मेघा दूध कलेक्शन सेंटर व अमूल दूध कलेक्शन सेंटर है. यह दोनों सेंटर गुरु चट्टी में है. दूध का निर्यात हजारीबाग, रामगढ़, रांची, कोडरमा, टंडवा, चतरा समेत कई जिलों में किया जाता है. वहीं, बड़कागांव के होटलों और बस्तियों में 40 रुपये प्रति लीटर व शहर में 45 रुपये प्रति लीटर दूध की बिक्री हो रही है. दूध उत्पादक मनोज कुमार के अनुसार सरकार को इसके लिए बाजार की व्यवस्था करनी चाहिए.

जेएमएफ से किसानों को परेशानी :

दुग्ध उत्पादक मनोज कुमार, अरुण महतो, नागेंद्र कुमार, संतोष कुमार के अनुसार जेएमएफ से किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. दूध का एसएनएफ 7.9 तक आने पर प्रति लीटर 15-16 रुपये कीमत दी जाती है. इससे उत्पादकों को लाभ नहीं मिल पाता है.

किसानों को नहीं मिलती है सब्सिडी :

किसानों ने कहा कि झारखंड सरकार से पहले दुग्ध उत्पादकों को सब्सिडी का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इससे गाय को चारा खिलाने में दिक्कतें होती है. इसका असर दूध उत्पादन पर पड़ता है. वहीं, केरल, तमिलनाडु, बिहार, छत्तीसगढ़ की सरकार दुग्ध उत्पादकों को चार से छह रुपये प्रति लीटर बोनस देती है, लेकिन झारखंड सरकार की ओर से ऐसी व्यवस्था नहीं की गयी है.

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