25 गांवों का प्यास बुझानेवाला लोटवा डैम का तीन चौथाई हिस्सा सूखा
पदमा और इचाक के सीमा पर स्थित लोटवा डैम का तीन चौथाई पानी सूख गया. मात्र कुछ हिस्सों में ही पानी बचा है.
225 एकड़ में फैले लोटवा डैम वर्ष 1975 में बनाया गया था
50 साल बाद भी आजतक कभी नहीं हुआ गहरीकरण
प्रतिनिधि, पदमा
पदमा और इचाक के सीमा पर स्थित लोटवा डैम का तीन चौथाई पानी सूख गया. मात्र कुछ हिस्सों में ही पानी बचा है. 225 एकड़ में फैले लोटवा डैम गर्मी और वर्षा से मिट्टी के कटाव के कारण बड़ा हिस्सा में भराव हो गया है. वर्ष 1975 में बना इस डैम का आज 50 साल बाद भी एक बार भी गहरीकरण का काम नहीं हो पाया. जबकि इस डैम के पानी से पदमा के 25 गांव के किसानों की खेती होती है. डैम की मरम्मत के नाम पर करोड़ों खर्च हो चुका है. जल जमाव के लिए गहरीकरण आज तक नहीं हो पाया. बरसात में डैम में पानी भर तो जाता है पर गेट का लाॅक लीक होने के कारण धीरे-धीरे सारा पानी बह जाता है. इतने बड़े जलाशय का निर्माण तो अब नहीं हो पायेगा, लेकिन इसका जीर्णोद्धार करना और इसको बचाना जरूरी है. सरकार लोटवा डैम की रक्षा करें. इसका जीर्णोद्धार कर दिया जाए तो आज भी पदमा प्रखंड के 54 गांव के किसानों को खेती के लिए सालों भर पानी दिया जा सकता है. इससे किसान भी खुश रहेंगे. डैम की बनी स्थिति बदतर होने से किसानों को पानी मिलने पर भी संकट उत्पन्न हो गया है.लोटवा डैम का सवाल कई बार विधानसभा में उठाया :
लोटवा डैम का जीर्णोद्धार कराने का सवाल पर मैंने कई बार विधानसभा में उठाया. विधायक उमाशंकर अकेला विधायक उमाशंकर अकेला ने कहा कि चुकी यह डैम मेरे विधानसभा क्षेत्र में नहीं आता. पर इसका लाभ हमारे विधानसभा के किसानों को मिलता है. मैं 2019 में विधायक बनते ही इसके जीर्णोद्धार व गहरी करण कराने का सवाल विधानसभा में उठाया. मेरे सवाल पर विभाग के अधिकारियों ने इसका गहरी करण का 115 करोड़ डीपीआर तैयार किया. बाद में रांची से आए जांच अधिकारियों ने डैम के 80 प्रतिशत हिस्सों में पानी रहता है का ग़लत रिपोर्ट सरकार को सौंपा दिया. जिससे गहरी करण का काम नहीं नहीं हो पाया. मैं लगातार इसमें प्रयास कर रहा हुं. बरसात के बाद पुनः इसकी स्वीकृति कराकर डैम का गहरी करण कराने का प्रयास करूंगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है