इचाक.
बरकाकाला पंचायत में बना लोटवा डैम अपने निर्माण के 45 वर्ष बाद भी सफाई व गहरीकरण का काम नहीं हुआ है. जिस कारण बड़ा डैम होने के बावजूद तालाब में तब्दील हो गया है. लोटवा जलाशय प्राकृतिक के सुंदर वादियों के बीच बने मनोरम दृश्य आज भी अपने आप मे अनोखा है. नेशनल पार्क रजडेरवा और शालपर्णी के बाद यह तीसरा स्थान है जहां जनवरी माह प्रारम्भ होते ही पिकनिक के लिए लोगो का आना जाना लगा रहता है. पिकनिक का खूब लुप्त उठाते हैं. स्थानीय लोगो के अनुसार कई बार इस जलाशय में साइबेरियन पक्षीयों का झुंड भी देखा गया है. इतना ही नहीं लोटवा जलाशय इचाक प्रखंड का एक मात्र जलाशय है, जिससे पदमा प्रखंड के तिलिर, करमा, सूजी, नावाडीह, परतन, जिहू, अडार, बन्दरबेला समेत दर्जनों गांवों के किसान हजारों एकड़ भूमि को सिंचित कर खेतों को हरा-भरा रखते है. डैम में पानी सुख जाने से किसान जेठुवा फसल नहीं उगा पाते हैं. पूर्व में डैम में पानी सालों भर रहता था जिससे किसानों के लिए खेती में सिंचाई कर जीवन यापन करने का मुख्य साधन था. बरसाती फसल उगाने के बाद डैम से पानी की निकासी बंद हो जाता है. गर्मी के दिनों में अन्य सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां के युवा खेती कार्य छोड़ पलायन करने को मजबूर हैं. लोटवा डैम मछली पालन का भी एक बहुत बड़ा साधन था. यदि इस डैम का जीर्णोद्धार किया जाय तो यहां रोजगार का सृजन होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है