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Jharkhand Lockdown : पांच हजार से अधिक ऑटो चालकों की टूटी कमर, पहिये ठहरने से रूक गयी जिंदगी

कोरोना महामारी (Corona pandemic) की रोकथाम व जारी लॉकडाउन के कारण शहर में पांच हजार से अधिक ऑटो ड्राइवरों (Auto Drivers) को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. इन चालकों के घर में राशन तक का संकट खड़ा हो गया है.

जमालउद्दीन

हजारीबाग : कोरोना महामारी (Corona pandemic) की रोकथाम व जारी लॉकडाउन के कारण शहर में पांच हजार से अधिक ऑटो ड्राइवरों (Auto Drivers) को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. इन चालकों के घर में राशन तक का संकट खड़ा हो गया है. 20 दिन से इन ड्राइवरों ने जमा पूंजी को खर्च कर जैसे-तैसे अपने परिवार का भरण पोषण किया. अब लॉकडाउन की अवधि 3 मई तक बढ़ गयी है. ऐसे में इन गरीब परिवारों की कमर टूटती नजर आ रही है.

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ऑटो ड्राइवरों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान हर सामान पर महंगाई छा गयी है, वहीं कमाई छीन गयी है. एक ओर शहर में कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण का खतरा, तो दूसरी ओर घर में चूल्हा न जल पाने का संकट. इन दिनों शहर के पांच हजार से अधिक ऑटो, ई-रिक्शा, बस ड्राइवरों के सामने यही संकट खड़ा हो गया है.

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दिन भर सवारी वाहनों को चलाकर परिवार का भरण पोषण करते हैं. इन पांच हजार में तीन हजार ऐसे ड्राइवर हैं, जो किराये के मकान में रहते हैं. वाहनों के ड्राइवर हाथ पर हाथ रखकर बैठे हैं. उन्हें इंतजार इस बात की है कि कब महामारी का संकट दूर होगा, तब फिर से गाडी को सड़क पर लेकर आयेंगे. लॉकडाउन के दौरान छोटे-मोटे कामकाज करनेवाले के हाथों से भी रोजगार छीन गया है.

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चालक दिनेश ने बताया कि हमलोगों के पास काम नहीं है. किराये से ऑटो लेकर चलाते थे. 200 से 300 रुपये की मजदूरी मिल जाती थी. अब सब कुछ बंद है. ऐसे में राशन की भी समस्या खड़ी हो गयी है. ऑटो चालक रिंकू ने बताया कि लॉकडाउन में धंधा खत्म हो गया. जो भी बचत थी उसके भरोसे इतने दिन काटे. अब आगे मुश्किल हो रही है.

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