खतरे में हजारीबाग का दुधी नाला, नाले में हैं भारतीय प्रायद्वीप के अंतिम महान हिम युग के प्रमाण

Jharkhand News: झारखंड के हजारीबाग का दुधी नाला खतरे में है. इसमें भारतीय प्रायद्वीप के अंतिम हिम युग के प्रमाण मौजूद हैं. शोध के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं.

By Mithilesh Jha | July 15, 2024 7:51 AM

Jharkhand News|हजारीबाग, जयनारायण : हजारीबाग चरही दुधी नाला भू-वैज्ञानिक स्थल का अस्तित्व खतरे में है. इस नाला को भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण ने राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया है. दुधी नाला के आसपास कई ईंट भट्ठे और स्पंज फैक्टरी संचालित हो रहे हैं. जबकि इस नाला के एक किलोमीटर के दायरे में किसी भी तरह की गतिविधि पर रोक लगी हुई है.

विनोबा भावे विश्वविद्यालय की पहल पर की गई थी बाड़बंदी, अब टूटने लगे हैं बाड़. फोटो : प्रभात खबर

टूटने लगे भू-वैज्ञानिक स्थल को संरक्षित करने के लिए लगाए गए बाड़

दो साल पहले इस भू-वैज्ञानिक स्थल को संरक्षित करने के लिए विनोबा भावे विश्वविद्यालय और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से 500 मीटर के दायरे में तार के बाड़ लगाये गये, जो अब टूटने लगे हैं. नाला के आसपास फल फूल रहे ईंट भट्ठे और चितपूर्णी स्पंज फैक्टरी अपने अनुपयोगी चीजें इस नाला में बहा रहे हैं. जिससे नाला भरने की संभावना बढ़ गयी है.

खतरे में हजारीबाग का दुधी नाला, नाले में हैं भारतीय प्रायद्वीप के अंतिम महान हिम युग के प्रमाण 4

दुधी नाला में हैं पृथ्वी की उत्पत्ति और उसके विकास के साक्ष्य

दुधी नाला में पृथ्वी की उत्पति और उसके विकास के पुराने साक्ष्य उपलब्ध हैं. हजारीबाग जिले में स्थित इस नाले के पत्थरों पर हिम युग के ड्रॉप स्टोन के आगे बढ़ने, पीछे हटने और स्थिर ग्लेशियरों और हिम नदी के पिघलने और जमा होने के प्रमाण मिले हैं. जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, इस नाले का पत्थर 30 लाख वर्ष पुराना है.

  • नाला को भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण ने घोषित कर रखा है राष्ट्रीय धरोहर
  • नाला के एक किमी के दायरे में संचालित हो रहे कई ईंट-भट्ठे और स्पंज फैक्ट्री
  • दुधी नाला के आसपास जमा हो रहा है ईंट-भट्ठा और स्पंज फैक्ट्री का मलबा

दुधी नाला के पत्थरों पर शोध के लिए आते हैं देश-विदेश से विद्यार्थी

दुधी नाला के पत्थरों पर देश-विदेश के शोधार्थी अध्ययन करने आते हैं. इस नाला में भारतीय प्रायद्वीप के अंतिम महान हिम युग के प्रमाण हैं. नाला के पत्थरों पर समुद्र तरंग जनित संरचनाएं, समूह में मुखित कंकड़ सहित कई प्रमाण मिले हैं. इस नाले को संरक्षित नहीं किया गया तो भावी पीढ़ी इस ऐतिहासिक धरोहर से वंचित हो जायेगी.

देश-विदेश के विद्यार्थी यहां शोध करने के लिए आते हैं. फोटो : प्रभात खबर

जियोलॉजी डिपार्टमेंट के लिए महत्वपूर्ण है यह साइट : एचएन सिन्हा

विनोबा भावे विश्वविद्यालय के जियोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ एचएन सिन्हा ने बताया कि दो साल पहले इस साइट को संरक्षित करने के लिए राज्य और विनोबा भावे विश्वविद्यालय ने तार की फेंसिंग की थी. यह साइट जियोलॉजिक डिपार्टमेंट के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसे संरक्षित करना जरूरी है. इस साइट में शोध करनेवाले छात्र अध्ययन के लिए आते हैं.

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