हजारीबाग : महिला कृषकों को स्वावलंबी बनाने के लिए भूमि संरक्षण अनुसंधान केंद्र डेमोटांड़ में महिलाओं को ट्रैक्टर चलाने व नयी तकनीक से खेती करने का प्रशिक्षण दिया रहा है. पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षु महिलाएं कृषि फार्म में ट्रैक्टर से खेतों की जुताई करना भी सीख रही हैं. चतरा से प्रशिक्षण लेने आयी महिलाओं ने बताया कि यहां नयी तकनीक से खेती करने के अलावा ट्रैक्टर चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह महिला कृषकों के लिए एक उम्मीद की नयी पहल है.
भूमि संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र डेमोटांड़ में प्रशिक्षण लेने पहुंची चतरा के मयूरहंड के पंदनी गांव की काजल देवी ने बताया कि उन्होंने यहां ट्रैक्टर चलाने का प्रशिक्षण लिया. महिला कृषक काजल ने बताया कि पांच दिनों के प्रशिक्षण में पूरी तरह से ट्रैक्टर चलाना तो नहीं सीख पायी, लेकिन ट्रैक्टर की सीट पर बैठ कर चलाने की हिम्मत जरूरी आ गयी.
उसने बताया कि अब पूरी तरह से ट्रैक्टर चलाना सीख कर खुद अपने खेत की जुताई करेगी. इसके अलावा चतरा की सरिता देवी, संगीता देवी, ज्योति गाड़ी, रजनी देवी, कस्तूरी देवी, रूबी देवी, मीणा देवी,नीलम देवी, गुड्डी देवी, खुशबू देवी समेत कई महिलाओं को ट्रैक्टर चलाने के अलावा समेकित कृषि प्रणाली, कृषि तकनीक, प्लास्टिक मलचिंग ड्रिप इरिगेशन से खेती, झारखंड के जलवायु में चाय, कॉफी व स्ट्रॉबेरी की खेती करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
महिला कृषकों को ट्रैक्टर चलाने का प्रशिक्षण एग्रीकल्चर इंजीनियर सुचित एक्का द्वारा दिया जा रहा है. पांच दिवसीय प्रशिक्षण के क्रम में अब तक सैकड़ों महिलाओं को ट्रैक्टर चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है. उप मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जैसमिन राजेंद्र किशोर ने कहा कि केंद्र में कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. महिलाओं को स्वालंबी बनाने के लिए उन्हें ट्रैक्टर चलाने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
Posted By : Sameer Oraon