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पांच वर्ष से कनीय शिक्षक को बनाया जा रहा हैं डीन

विभावि में 2018 से साइंस डीन के पद कृपा का पद बना हुआ है, जबकि यह वरीयता का पद है.

इस पद पर विभावि में 2018 से वरीय शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो रही है हजारीबाग . विभावि में 2018 से साइंस डीन के पद कृपा का पद बना हुआ है, जबकि यह वरीयता का पद है. इस पद पर विभावि में 2018 से वरीय शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो रही है. जबकि यूजीसी एवं झारखंड विवि एक्ट में इस पद पर नियुक्ति के लिए योग्यता एवं वरीयता का स्पष्ट उल्लेख किया गया है . डीन का पद कृपा का नहीं, वरीयता का है विभावि में साइंस डीन का पद 2018 से विभावि के कृपा से नियुक्त किया जा रहा है . इसमें पिछले पांच वर्षों में वरीयता का ध्यान नहीं रखा गया है . जबकि डीन का पद कृपा का नहीं, वरीयता का है . इस पद पर 2018 से विभावि ने तीन डीन नियुक्त किया है . तीनों बार विभावि ने वरीय शिक्षक के रहते कनीय शिक्षक की इस पद पर नियुक्त किया है . जो एक्ट के अनुसार नहीं है. विभावि के पास साइंस में मात्र एक प्रोफेसर विभावि के पास मात्र दो प्रोफेसर रैंक के शिक्षक है . एक प्रोफेसर साइंस संकाय के हैं, जो 2012 से प्रोफेसर रैंक पर है उनसे कॉलेज के प्रिंसिपल पद पर विभावि सेवा ले रही है .इनके अनुभव का लाभ सिर्फ एक कॉलेज को मिल रहा है. शेष साइंस के सभी शिक्षक एसोसिएट प्रोफेसर हैं या तो असिस्टेंट प्रोफेसर है . जो वरीयता में प्रोफेसर से नीचे होते हैं . दूसरे प्रोफेसर मानविकी संकाय से हैं जिनको वर्ष 2020 में प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नति मिली है . इनसे प्रशासनिक पदाधिकारी के पद पर विभावि सेवा ले रही हैं. विभावि के साइंस डीन पद पर पारदर्शी ढंग से नियुक्ति साइंस विद्यार्थियों के लिए जरूरी हो गयी है . इस पद पर विभावि के साइंस का शोध , विभागीय शोध पर्षद , स्नातकोत्तर का सिलेबस , स्नातक का सिलेबस , साइंस की प्रयोगिक कक्षा , साइंस की लाइब्रेरी पुस्तक , विभावि का एडवांस रिसर्च सेंटर , इंजीनियरिंग कॉलेज के डायरेक्टर का पद जैसे महत्वपूर्ण कार्य का दायित्व रहता है . क्या कहती है नियमावली नियमावली के अनुसार विवि के विषय अंतर्गत प्रोफेसर या जो प्रोफेसर कॉलेज के प्रिंसिपल है उन्हें ही डीन के पद पर कुलपति नियुक्त करते हैं . इन दोनों में कोई न हो तो विभागाध्यक्ष को इस पद पर नियुक्त करने का प्रावधान है . इस पद का कार्यकाल दो वर्ष का है. यदि उस संकाय में दो से ज्यादा शिक्षक पात्रता रखते है तो पैनल वरीयता के अनुसार बनेगा तथा चक्रीय क्रम में उनकी नियुक्ति प्रत्येक दो वर्ष के लिए की जायेगी. सिंडिकेट एवं शिक्षक संघ भी मौन विभावि के किसी भी निर्णय को सिंडिकेट की बैठक में एजेंडा बनाया जाता है जिसे सिंडिकेट सदस्य अनुमोदित करते है . जिदके बाद ही विभावि के निर्णय को क्रियान्वित किया जाता है . ऐसे में 2018 के बाद से साइंस डीन के पद पर विभावि के द्वारा नियुक्ति को सिंडिकेट से क्लीन चिट मिलना विभावि की कार्यक्षमता और पारदर्शिता को दर्शाता है . दूसरे तरफ विभावि में शिक्षक संघ भी वरीय शिक्षक के हक एवं विद्यार्थीयो के हक को लेकर पारदर्शिता को प्राथमिकता नही दे रही है . जिससे शिक्षक संघ खुद का नुकसान क्यो कर रहा है यह समझ से परे है .

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