हजारीबाग: कटकमदाग की महिलाएं मशरूम की खेती कर बन रही हैं आत्मनिर्भर, बेच रही 180 से 200 रुपये प्रति किलो
बाकी समय खाली बैठे रहते थे. लेकिन पिछले तीन साल से केजीविके के सहयोग से हमलोग बटन मशरूम के खेती कर रहे है. इसमें कम मेहनत में अच्छा मुनाफा हो जाता है.
कटकमसांडी: हजारीबाग में कटकमदाग प्रखण्ड के उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में महिला समूह के सदस्य बटन मशरूम उत्पादन कर के आत्म निर्भर बन रही है. केजीविके द्वारा संचालित सम्पूर्ण ग्राम विकास परियोजना महिला और किशोरी समूह के सदस्यो को लाभकारी साबित हो रहा है. प्रखण्ड के तीन पंचायत बेस, अडरा और कुशुंभा के 14 ग्राम बेंदी, सिमरिया,उदयपुर अडरा, चिचि, कुबा, कुसुभा, जमुवारी, हारम, पुंदरी, बेस, मरहन्द, रजहर, और हुरूदाग के महिला और किशोरी समूह के सदस्य बटन मशरूम उत्पादन कर आत्म निर्भर बन रही है. शांति महिला समूह अडरा के सदस्य मोनिका नाग बताती है कि पहले हमलोग केवल घरेलू काम करते थे.
बाकी समय खाली बैठे रहते थे. लेकिन पिछले तीन साल से केजीविके के सहयोग से हमलोग बटन मशरूम के खेती कर रहे है. इसमें कम मेहनत में अच्छा मुनाफा हो जाता है. हमलोग समूह में मिलकर 300 बैग कम्पोस्ट रखे है. प्रति बैग दो से तीन किलो बटन मशरूम उत्पादन होता है. जिसको हमलोग मार्केट में 180 से 200 रुपये के दर से बेचेते हैं. अभी तक 60000 रुपये का बटन मशरूम बेच चुके है. तेरेसा गुड़िया ने बताया कि बटन मशरूम उत्पादन कर अपने बच्चे को अच्छे स्कूल शिक्षा दिला रही है.
केजीविके के सचिव डॉ अरविंद सहाय ने बताया कि हमलोग 2020 से कटकमदाग प्रखण्ड के 14 ग्रामों में महिला समूह और किशोरी समूह के सदस्यों को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाने के लिए कार्य कर रहे है. आगे परियोजना के सहायक प्रबन्धक धर्मेंद्र कुमार तिवारी ने बताया कि हमलोग अभी तक 1800 से अधिक परिवारों को बटन मशरूम उत्पादन से जोड़ चुके है. उन्होंने बतया कि पहले इसे उत्पादन करने के लिए महिला और किशोरी समूह के सदस्य इच्क्षुक नहीं होते थे. लेकिन केजीविके के प्रयास से ने केवल बटन मशरूम के उत्पादन कर रही है. इसके साथ-साथ अपने परिवार को आर्थिक रूप से सशक्त भी बना रही है.