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हजारीबाग में आंगनबाड़ी केंद्रों से प्रारंभिक शिक्षा पूरा करनेवाले 43 हजार बच्चों का नामांकन नहीं

इन नौनिहालों को कोरोना ने शिक्षा के लिहाज से पीछे धकेल दिया है. अब अधिकतर बच्चे गांव की गलियों में खेल रहे हैं. कुछ अभिभावक घर में रखकर ही बच्चों को पढ़ा रहे हैं. झारखंड शिक्षा परियोजना हजारीबाग के अनुसार इस वर्ष एलकेजी में सात, यूकेजी में 557 और कक्षा एक में 3220 बच्चों का ही नामांकन हो पाया है.

हजारीबाग : हजारीबाग जिले में कोरोना की दूसरी लहर के कारण करीब 43 हजार बच्चों का नामांकन कक्षा एक में नहीं हो पाया. पूरे जिले में 46544 बच्चों का नामांकन होना था, लेकिन 3220 बच्चों का ही नामांकन हो पाया है. ऐसे में 43 हजार बच्चे पढ़ाई से वंचित रह गये हैं. प्रभावित बच्चों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है. जिले के करीब 1700 आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़नेवाले बच्चे इस बार स्कूल नहीं पहुंच पाये हैं. आंगनबाड़ी में गरीब, असहाय, आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों के बच्चे पढ़ते हैं.

इन नौनिहालों को कोरोना ने शिक्षा के लिहाज से पीछे धकेल दिया है. अब अधिकतर बच्चे गांव की गलियों में खेल रहे हैं. कुछ अभिभावक घर में रखकर ही बच्चों को पढ़ा रहे हैं. झारखंड शिक्षा परियोजना हजारीबाग के अनुसार इस वर्ष एलकेजी में सात, यूकेजी में 557 और कक्षा एक में 3220 बच्चों का ही नामांकन हो पाया है. आंगनबाड़ी केंद्र से नर्सरी और प्रेप की पढ़ाई पूरी करनेवाले बच्चों की संख्या 46544 है.

नामांकन के समय विद्यालय बंद :

सरकारी विद्यालयों में अप्रैल के पहले सप्ताह में कक्षा एक में नामांकन होता है, लेकिन होली के बाद से पूरे झारखंड में कोरोना की दूसरी लहर से बचने के लिए राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह लागू कर दिया. इस निर्णय के बाद सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया. हजारीबाग जिले में 923 प्राइवेट स्कूल हैं. यहां एलकेजी से लेकर उच्च शिक्षा दी जाती है. इसमें अधिकतर बंद हो गये हैं. इस वजह से अभिभावक बच्चों को स्कूल में नामांकन नहीं लेना चाह रहे हैं.

बच्चे की मां विनीता कुमारी ने बताया कि मेरे बच्चे की उम्र चार से पांच साल के बीच है. बच्चों के स्वास्थ्य से बढ़ कर उसकी पढ़ाई नहीं हो सकती है. घर के सुरक्षित माहौल में बच्चे की पढ़ाई अपने स्तर से करा रही हूं. सिडलिंग प्ले स्कूल की पल्लवी कृष्ण ने बताया कि हमारे विद्यालय में एलकेजी और यूकेजी के 130-130 बच्चों के नामांकन लेने की क्षमता है. लेकिन इस वर्ष अधिकतर सीट खाली रह गयी हैं. अभिभावक बच्चों का नामांकन विद्यालय में नहीं कराना चाहते हैं. कई अभिभावकों ने वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण बच्चों का नामांकन नहीं कराया है.

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