: विरोध में कर्मचारियों ने नही लिया दिसंबर का वेतन
1992 से नही मिला है प्रोन्नति : विभावि की स्थापना 1992 के बाद से विभावि के शिक्षकेतर कर्मचारियों को किसी प्रकार की प्रोन्नति का लाभ नही मिला है . शिक्षकेतर कर्मचारी को पद का प्रोन्नति नहीं मिला है, जिसके कारण शिक्षकेतर कर्मचारी को किसी भी प्रकार का आर्थिक लाभ भी नहीं मिल पाया है. इसी आर्थिक लाभ से वंचित होने के कारण विभावि अपने शिक्षकेतर कर्मचारियों को क्षतिपूर्ति के रूप में अपने आंतरिक मद से एसीपी एवं एमएसीपी का लाभ दे रहा था.
10 एवं 12 वर्ष पर मिलनी है प्रोन्नति : एसीपी के तहत कर्मचारियों को सेवा काल के बाद 10 वर्ष के अंतराल में ग्रेड पे में बढ़ोतरी होती है. जबकि एमएसीपी के तहत यह प्रोन्नति 12 वर्ष के अंतराल में मिलती है. संजीत पासवान ने बताया कि विभावि के स्थापना के बाद से शिक्षकेतर कर्मचारियों को कोई प्रोन्नति का लाभ मिला ही नहीं है. इससे हो रहे नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए विभावि अपने आंतरिक मद से शिक्षकेतर कर्मचारियों को एसीपी एवं एमएसीपी का लाभ सरकार के आदेश के बाद देता आ रहा है. अब विभावि इसे देना नहीं चाहता है.पद का प्रोन्नति नही मिला : विभावि के शिक्षकेतर कर्मचारियों को स्थापना काल से पद पर भी प्रोन्नति अभी तक नहीं मिली है. शिक्षकेतर कर्मचारी जिस पद पर अपनी सेवा में बहाल हुए हैं, उसी पद पर सेवानिवृत्त भी हो जा रहे है. इसके लिये विभावि 2015 से ही कार्य कर रहा है. अब 10 वर्ष बीतने को है, लेकिन इसे अंतिम रूप नही दिया जा सका हैं. 2015 में पूर्व कुलपति डॉ गुरदीप सिंह ने शिक्षकेतर कर्मचारियों को प्रोन्नति देने का कार्य शुरू किया. इनके समय ही कर्मचारियों को आंतरिक मद से एसीपी एवं एमएसीपी का लाभ मिलना शुरू हुआ. उन्होंने पद की प्रोन्नति के लिए शिक्षकेतर कर्मचारियों से आवेदन भरवाया था. इसी आवेदन पर पूर्व कुलपति डॉ रमेश शरण ने 2019 में जांच कार्य को संपादित करवाया था. इसी को आधार बना कर पूर्व कुलपति डॉ मुकुल नारायण देव ने शिक्षकेतर कर्मचारियों के लिए परीक्षा का आयोजन कराया था, लेकिन इस परीक्षा का परिणाम अभी तक घोषित नही किया गया है.
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