बंशीधर मंदिर में मना श्री कृष्ण जन्मोत्सव
जन्माष्टमी पर बंशीधर मंदिर में आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरीधर कृष्ण मुरारी की धुन से माहौल कृष्णमय हो गया.
इचाक.
जन्माष्टमी पर बंशीधर मंदिर में आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरीधर कृष्ण मुरारी की धुन से माहौल कृष्णमय हो गया. वहीं, पूजा-पाठ को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. श्रद्धालु भगवान श्री कृष्ण, राधा रानी, बलराम और बहन सुभद्रा समेत अन्य देवी-देवताओं की पूजा में व्यस्त रहे. मंदिर में पूजा संपन्न कराने को लेकर विधायक प्रतिनिधि सच्चिदानंद अग्रवाल, उदय भगत, मोहन केसरी, गोविन्द केशरी, भोला भगत, पिंकू गुप्ता, संजीत केसरी, गौतम केसरी, पवन पांडे, रवि गुप्ता, अनुज कुमार, प्रकाश यादव, मुकेश अग्रवाल, संजय अग्रवाल, सुनील साव, संदीप अग्रवाल, विक्की धवन, संतोष मेहता समेत बाजार वासियों ने अहम भूमिका निभायी. पूजा अर्चना के बाद 301 किलो दूध का बना खीर वितरण किया गया. इधर, प्रखंड के सभी गांव में जन्माष्टमी की पूजा धूमधाम से मनायी गयी. रात्रि को भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया.18वीं सदी से हो रही है बंशीधर मंदिर में पूजा :
बंशीधर मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में महाराजा सिद्धनाथ सिंह द्वारा इचाक बाजार स्थित राजकिला के ठीक सामने करवाया गया था. महाराजा सिद्धनाथ सिंह के वंशज जब पदमा किला का निर्माण करवाया उस समय उन्होंने बाबा बंशी मुरलीधर को अपने साथ पदमा ले जाने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे. इसके बाद से राजपरिवार शुभ कार्य करने के दौरान माथा टेकने इचाक आते थे. वर्ष 1977 के आसपास चोरों द्वारा प्रतिमा की चोरी कर ली गई थी, जो इचाक प्रखंड के सिझुआ के जंगल में मोरम की खुदाई कर रहे मजदूरों द्वारा देखी गई थी. सूचना राजपरिवार को मिलने पर राजमाता ललिताराज लक्ष्मी ने पुनः प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करवाकर बंशीधर कोठी में स्थापित करवायी. 1968 से परासी के निवासी रघुनंदन तिवारी को पूजा पाठ की जिम्मेवारी सौंपी गई थी. भोग लगाने के लिए खैरात के रूप में मंदिर के नाम से कई एकड़ जमीन भी दी गई थी. शौरभ नारायण सिंह विधायक बनने के पहले और बाद में इसी बंशीधर कोठी में माथा टेकने इचाक आए थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है