हजारीबाग.
पहाड़ का सीना चीर कर रास्ता बनाने वाले माउंटेन मैन दशरथ मांझी की पुण्यतिथि पर हजारीबाग के चपवा गांव के भुईया समाज ने याद किया. अध्यक्षता तपेश्वर राम व संचालन राजेश राम ने किया. सेमिनार में सीपीएम जिला सचिव गणेश कुमार सिटू ने कहा कि दशरथ मांझी की प्रेम कहानी एक मिसाल है. वह अपने हाथों से 22 वर्षों तक 1960 से लेकर 1982 तक छेनी और हथौड़ी से पहाड़ की चट्टानों को काटते रहे. जो उनकी पत्नी की मौत की वजह बनी थी. उन्होंने 25 फीट ऊंचा, 30 फीट चौड़ा और 360 मीटर लंबे पहाड़ को काटकर आम लोगों के लिए गया के गहलौर गांव से वजीरगंज तक रास्ता बना दिया. इस कार्य के लिए दुनिया भर में दशरथ मांझी की सराहना हुई. इस सड़क को मोहब्बत का प्रतीक भी कहा जाता है. 17 अगस्त 2007 को दशरथ मांझी की मृत्यु हो गई. सेमिनार में धनेश्वर, अजय राम, विजय राम, प्रदीप राम, बाली, मीना देवी, इंदुवा देवी, लिलो देवी, नीलम देवी, किरण देवी, पिंकी देवी, रीना देवी सहित भुईया समाज के कई लोग शामिल थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है