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राज्य में कई विषयों में शोध की काफी संभावनाएं : विभागाध्यक्ष

विभावि में आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर आर्यभट्ट सभागार में संगोष्ठी का आयोजन मानवविज्ञान विभाग व सामाजिक विज्ञान संकाय समेत अन्य विभागों की ओर से किया गया.

भारतीय जनजातियों पर शोध की संभावनाएं विषय पर संगोष्ठी

हजारीबाग.

विभावि में आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर आर्यभट्ट सभागार में संगोष्ठी का आयोजन मानवविज्ञान विभाग व सामाजिक विज्ञान संकाय समेत अन्य विभागों की ओर से किया गया. विषय भारतीय जनजातियों पर शोध की संभावनाएं था. अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ विनोद रंजन व संचालन डॉ गंगानाथ झा और डॉ जेआर तिर्की ने किया. विभागाध्यक्ष डॉ विनोद रंजन ने भारतीय जनजातियों पर इथनोग्राफिक, मोनोग्राफिक, डेमोग्राफिक, एंथ्रोपोमैट्रिक, जन-अनुवांशिकी, एथनोमेडिसीन, भूमि और जंगल, जनजातीय असंतोष, जनजातीय अलगाववाद, स्वास्थ्य संस्कृति, सामाजिक सांस्कृतिक परिवर्तन, जनजातियों के पर्यावरणीय ज्ञान, औषधीय ज्ञान, जनजातियों के मनोविज्ञान, आनुवंशिक बीमारियों जनजातीय अधिकारों, जनजातियों के मानवाधिकार, शहरीकरण व औद्योगकीकरण का जनजातियों पर प्रभाव, जनजातीय विकास व समस्याएं, विभिन्न धर्मों जनजातीय पर प्रभाव, वन नीति एवं जनजातियों पर उसका प्रभाव, भूमि अधिनियमों का जनजातियों पर प्रभाव, विकासात्मक योजनाओं का जनजातीयों पर प्रभाव जैसे विषयों पर शोध की संभावनाओं पर विस्तार से वर्णन किया.

डॉ गंगानाथ झा ने भारतीय जनजातियों के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनैतिक जीवन पर शोध करने की आवश्यकता पर बल प्रदान किया. राजनीतिविज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ सुकल्याण मोइत्रा ने कहा कि जनजातीय विकास योजनाओं की विफलता का मूल कारण जनजातीय समाज व संस्कृति को जाने समझे बगैर जनजातीय विकास की नीतियों व योजनाओं का निर्माण व क्रियान्वयन किया जाना है. उन्होंने कहा कि जनजातीय सोच, जनजातीय जीवनशैली, जनजातीय आवश्यकताओं, जनजातीय आकांक्षाओं व जनजातीय विशेषताओं पर शोध की काफी संभावना है. इतिहास विभाग के शोधार्थी जय कुमार ने झारखंड की जनजातियों में कृषि व्यवस्था व भूमि व्यवस्था पर शोध की संभावनाओं की ओर ध्यानाकृष्ट किया. शिक्षाशास्त्र विभाग की विनीता वंकीरा ने भारतीय जनजातियों में जल, जंगल व जमीन संबधित आयामों पर बल दिया. हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ केदार सिंह ने जीवन की जटिलताओं में सहजता से जीवंत जीवन जीने की आदिवासी समाज के जीवनशैली से सीख लेते हुए संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की. मौके पर हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ केके गुप्ता, इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ विकास कुमार, अंग्रेजी विभाग के डॉ नीरज डांग, यूसेट की अर्चना रीणा ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया.

विद्यार्थी पुरस्कृत :

क्विज में राजनीतिक विज्ञान विभाग के महेन्द्र पंडित व अन्नया शर्मा, इतिहास विभाग के जय कुमार, सचिन व संध्या, अर्थशास्त्र विभाग के प्रिंस राज, विधि विभाग की कोमल रानी, शिक्षा शास्त्र विभाग की वीणा एवं मानवविज्ञान की प्रदिप्ता, संजय मेहता, निकिता व निधिका को पुरस्कृत किया गया.

इस अवसर पर मानवविज्ञान, राजनीतिक विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास, शिक्षा शास्त्र, बायोटेक, एमसीए विधि विभाग के शोधार्थी व विद्यार्थी काफी संख्या में उपस्थित थे. कार्यक्रम में डॉ एचएन सिन्हा, डॉ रिजवान अहमद, डॉ गंगानंद सिंह, डॉ अजय बहादुर, डॉ सुबोध सिंह शिवगीत, पुष्कर कुमार पुष्प, अभिषेक रंजन, चंदन कुमार, दिलीप तुरी, सोनू कुमार व उमेश कुमार समेत अन्य लोग उपस्थित थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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