दसलक्षण महापर्व के पांचवें दिन उत्तम सत्य धर्म पर प्रवचन
दसलक्षण महापर्व के पांचवें दिन उत्तम सत्य धर्म पर्व भक्तिभाव के साथ मनाया गया. गुरुवार को उत्तम सत्य धर्म पर प्रवचन हुआ.
असत्य भी बिना सत्य के रह नहीं सकता : मुनि श्री
हजारीबाग.
दसलक्षण महापर्व के पांचवें दिन उत्तम सत्य धर्म पर्व भक्तिभाव के साथ मनाया गया. गुरुवार को उत्तम सत्य धर्म पर प्रवचन हुआ. तप साधना से ओतप्रोत दसलक्षण महापर्व में सुबह से ही पूजा, आराधना, विधान आदि धार्मिक कार्यक्रम शहर के दोनों जैन मंदिरों में हुआ. दिगंबर जैन भवन बड़ा बाजार में सुबह से ही सामूहिक कलश, अभिषेक, शांतिधारा और विधान का कार्यक्रम हुआ. सभी कार्यक्रम पूर्व निर्धारित समय पर सुबह नौ बजे मुनि श्री का प्रवचन शुरू हुआ. उत्तम सत्य के दिन मुनिश्री ने बताया कि जो जैसा है उसको वैसा ही जानना है. उसको वैसा ही देखना, वैसा ही कहना और उसको वैसा ही मानना सत्य होता है. हम जैसे हैं वैसे ही अपने आप को जाने. वैसे ही अपने आप को माने और वैसा ही अपना आचरण करें. यही सत्य कहलाता है. श्रद्धा का सत्य जो जैसा है वैसा ही श्रद्धा करना वैसा ही विश्वास करना. मन के नेत्रों से जो हम देख पाते हैं वह थोड़ा है पर जिन्होंने सत्य को पूर्ण रूप से देख लिया है. पूर्ण रूप से जान लिया है. सत्य रूपी हो गये हैं. असत्य भी बिना सत्य के रह नहीं सकता. असत्य का कोई अस्तित्व नहीं है अस्तित्व को सत्य का ही है. ऐसे में वास्तव में हमारा भव्य आत्मा स्वरूप ही सत्य है. मुनि श्री ने अपने प्रवचन में कहा कि सत्य धर्म की परिभाषा एक पंक्ति में है. सही बोलो सुंदर बोलो. मुनिश्री के प्रवचन के बाद 10 बजे से आहारचर्या का कार्यकम हुआ. दोपहर में मुनि श्री के सानिध्य में धार्मिक कक्षाएं प्रतिदिन पहले की तरह ही चली. मंगलाचरण आशिता विनायका, आकृति सोगानी, समृद्धि सेठी, लब्धि विनायका, तस्वी सेठी, कबीर पाटनी, रिधान सेठी, प्रणिका अजमेरा, योशिता विनायका, शेशिता विनायका, दिव्यांशी बड़जात्या, परिधि अजमेरा, धानवी अजमेरा, एच्छित अजमेरा, यथार्थ पाटनी, प्रियांश छाबड़ा और आरव विनायका द्वारा किया गया. मंच संचालन रश्मि बोहरा ने किया. मीडिया प्रभारी राजेश लुहाड़िया ने कार्यक्रम की जानकारी दी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है