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कई गांवों में वनभूमि पर लगी अफीम खेती को किया नष्ट

झारखंड-बिहार के 25 लोगों पर वन अधिनियम के तहत मामला दर्ज

चौपारण. प्रखंड के गौतम बुद्धा वन्यप्राणी आश्रयणी के वनभूमि पर हो रही अफीम की खेती को वनकर्मियों ने अभियान चला कर नष्ट कर दिया .छापामारी दल को देखते ही खेती के काम में लगे मजदूर फरार हो गये. छापामारी दल का नेतृत्व कर रहे वनपाल छत्रपति शिवाजी ने बताया वरीय अधिकारियों के दिशा निर्देश में बिहार एवं झारखंड के सीमावर्ती अहरी, नावाडीह, मुड़िया, ढोढ़ीया, केंदुआसहोर, मूर्तिया, पत्थलगड़वा गांव में वनभूमि पर की गयी अफीम की खेती को नष्ट कर दिया गया है. वनभूमि पर अफीम की खेती करने के आरोप में 20 से 25 लोगों के बीच वन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है. वनपाल ने बताया उक्त गांव में करीब 15 एकड़ वनभूमि की जुताई कर अफीम की खेती की जा रही थी. खतरे में वनभूमि का अस्तित्व : एक समय यह घना जंगल वनसंपदा एवं जंगली जनवरों से भरा था. वर्तमान में यह जंगल अफीम की खेती के लिए सेफ जॉन बन चुका है.इस वजह से वनभूमि का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. बिहार से लोग यहां आकर जंगल में बसे गांवों के लोगों के साथ साठगांठ कर अफीम की खेती कर रहे हैं. समय रहते इसकी खेती पर अंकुश नहीं लगायी गयी, तो चौपारण के लोग जंगल की हरियाली देखने को तरस जायेंगे.

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