शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी की एक झलक पाने को बेताब थे लोग
चौक-चौराहों पर लोग फूलों से भरी थाली लेकर खड़ा थे
हजारीबाग. शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी का पार्थिव शरीर हजारीबाग पहुंचा, तो हर एक की आंखें नम थी. सड़कों पर उनकी एक झलक पाने के लिए लोग घंटों इंतजार कर रहे थे. सुबह नौ बजे से ही लोग हजारीबाग के वीर सपूत को देखने के लिए लालायित थे. जिन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान देकर हजारीबाग को गौरवान्वित किया है. सभी शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी की बहादुरी के गुणगान कर रहे थे. लोगों ने कहा कि हमलोग के बीच से करमजीत का जाना दुख की बात है. उनके इस बलिदान ने हम सभी का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है. उनके सम्मान मे गगनभेदी नारे गूंज रहे थे. जबतक सूरज चांद रहेगा, करमजीत तुम्हारा नाम रहेगा. बेसब्री से लोग कर रहे थे इंतजार : शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी के पार्थिव शरीर के आने का हजारीबाग के लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. शहरवासी विभिन्न मार्गों पर हाथ में फूल से भरा थाली ले रखा था. जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर सामने से गुजरता सेना के वाहनों पर लोगों ने फूलों की वर्षा की.
घंटों थम गया शहर : शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी के अंतिम सम्मान यात्रा के दौरान शहर घंटों ठहर सा गया. शहीद के घर से यह यात्रा शुरू हुई. सम्मान यात्रा पीडब्ल्यूडी चौक से होती हुई पोस्ट ऑफिस मोड़, पुराना बस स्टैंड बिरसा चौक, गाड़ीखाना आंबेडकर चौक, बुढ़वा महादेव, अन्नदा चौक गुरुगोविंद सिंह रोड से गुरुद्वारा पहुंची. यहां से पैगोडा चौक, हजारीबाग मेन रोड, झंडा चौक, ग्वालटोली चौक, खिरगांव चौक होती हुई मुक्तिधाम पहुंची. हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए. जिस मार्ग पर शव यात्रा गुजर रही थी, उस मार्ग पर वाहन नहीं चले. लोग खड़े होकर उन्हें अंतिम विदाई दी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है