गरीब बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं, कैसे करेंगे ऑनलाइन पढ़ाई

जहां एक ओर लॉकडाउन से प्रभावित छात्रों ने अब अपने मोबाइल से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी हैं. बड़कागांव में अधिकांश गरीब विद्यार्थी ऑनलाइन पढ़ाई करने को लेकर अपने-अपने अभिभावकों से स्मार्टफोन की मांग करने लगे हैं. इस कारण अभिभावक भी परेशान हैं. लॉकडाउन को लेकर एक तो मोबाइल दुकान बंद है, तो दूसरी ओर अभिभावकों के समक्ष आर्थिक समस्या है. इस कारण अभिभावक मोबाइल खरीदकर अपने बच्चों को नहीं दे पा रहे हैं.

By AmleshNandan Sinha | May 5, 2020 3:41 PM

बड़कागांव : जहां एक ओर लॉकडाउन से प्रभावित छात्रों ने अब अपने मोबाइल से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी हैं. बड़कागांव में अधिकांश गरीब विद्यार्थी ऑनलाइन पढ़ाई करने को लेकर अपने-अपने अभिभावकों से स्मार्टफोन की मांग करने लगे हैं. इस कारण अभिभावक भी परेशान हैं. लॉकडाउन को लेकर एक तो मोबाइल दुकान बंद है, तो दूसरी ओर अभिभावकों के समक्ष आर्थिक समस्या है. इस कारण अभिभावक मोबाइल खरीदकर अपने बच्चों को नहीं दे पा रहे हैं. पेश है प्रभात खबर संवाददाता संजय सागर की एक रिपोर्ट…

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पैसे नहीं रहने के कारण बच्चों को नहीं दे पा रहे हैं स्मार्टफोन

केस स्टडी वन : बड़कागांव अंबेडकर मोहल्ला के अजय राम की पुत्री अस्मिता कुमारी कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में इंटर में पढ़ती है. पुत्र आशुतोष कुमार आदर्श मध्य विद्यालय में पांचवी कक्षा का छात्र है. अपने दोस्तों को मोबाइल पर पढ़ाई करते देख वह अपने पिता से स्मार्टफोन की मांग करने लगा है.

अजय राम राजमिस्त्री हैं. लॉकडाउन के कारण उनका रोजगार बंद है. उनके पास पैसे नहीं हैं. ऐसी परिस्थिति में भी स्मार्ट मोबाइल फोन नहीं खरीद पा रहे हैं. इस तरह से अगर देखा जाए तो बड़कागांव प्रखंड में कई ऐसे गरीब परिवार हैं जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है. और ना ही मोबाइल खरीदने के लिए उनके पास पैसे हैं. ऐसी परिस्थिति में गरीब बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है.

केस स्टडी 2 : बड़कागांव के बालों भुइयां दैनिक मजदूर हैं. इसके पुत्र आदर्श विद्यालय की चौथी कक्षा का छात्र है. इनके पास स्मार्टफोन नहीं है. ऐसी परिस्थिति में इनके बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. इनका कहना है कि लॉकडाउन के इस दौर में भोजन जुटा पाना मुश्किल है तो बच्चों को स्मार्टफोन खरीदकर कहां से दूं? घर में एलईडी टीवी भी नहीं है कि टीवी देखकर बच्चे पढ़ सकें.

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