कोरोना संक्रमित व्यक्ति से ‘प्रभात खबर’ की बातचीत, 14 दिनों तक गांव में घूमता रहा, लोगों से मिलता रहा
मुंबई में रहकर काम करने वाले एक मजदूर से प्रभात खबर ने बातचीत की है. लॉकडाउन के बाद किसी तरह हजारीबाग पहुंचा शख्स कोरोना पॉजिटिव निकला. इस संक्रमण से जूझ रहे इस शख्स ने प्रभात खबर से लंबी बातचीत की. बातचीत में उसने अपनी पूरी आपबीती सुनायी. हम उसके द्वारा बताये गये बातों का अंश यहां प्रकाशित कर रहे हैं. पढ़िये उस शख्स की आपबीती उसी की जुबानी...
सलाउद्दीन
हजारीबाग : मुंबई में रहकर काम करने वाले एक मजदूर से प्रभात खबर ने बातचीत की है. लॉकडाउन के बाद किसी तरह हजारीबाग पहुंचा शख्स कोरोना पॉजिटिव निकला. इस संक्रमण से जूझ रहे इस शख्स ने प्रभात खबर से लंबी बातचीत की. बातचीत में उसने अपनी पूरी आपबीती सुनायी. हम उसके द्वारा बताये गये बातों का अंश यहां प्रकाशित कर रहे हैं. पढ़िये उस शख्स की आपबीती उसी की जुबानी…
“मुंबई में सड़क बनाने वाली कंपनी दरिया सागर इंफ्रा प्राइवेट कंपनी में काम करता हूं. झारखंड के लगभग 20 लोग वहां काम करते हैं. मैं डंपर चलाता हूं. पिछले तीन माह से कंपनी के मालिक ने पगार नहीं दिया था. हमलोग काफी परेशान थे. इसी बीच बीमारी की बात फैलने लगी. एक कमरा लेकर लगभग 20 लोग वहां रहते हैं. यह तय हुआ कि पगार भी नहीं मिल रही है, बीमारी भी फैल रही है. हम लोग अपने घर चले जाते हैं.
मालिक से बात की, छुट्टी पर जा रहे हैं. मालिक ने कहा कि छुट्टी पर जाना है तो जाओ, ऑफिस मत आना नहीं तो पिटाई होगी. हम लोग सीधे अपने कमरे से 21 मई को मुंबई तिलक नगर रेलवे स्टेशन पहुंचे. शाम 3:30 बजे झारखंड एक्सप्रेस ट्रेन में बैठे पूरा ट्रेन पैसेंजर से खचाखच भरा हुआ था 23 मार्च को सुबह में हजारीबाग रोड स्टेशन सरिया में उतर गये. वहां पर एक टैंपो में बैठे इस टैंपो में लगभग 8 लोग सवार थे. 30 रुपये भाड़ा देने के बाद बगोदर में उतार दिया.
वहां से एक दूसरे टैंपो में बैठे, वह टैंपो वाले ने विष्णुगढ़ बनासो के पास उतार दिया. उसी समय गांव के ही एक पंडित जी अपने दो बेटियों को लेकर कार से जा रहे थे. उन्होंने हमें भी बैठा लिया. कार से बनासो से अपने गांव पहुंच गये. गांव पहुंचने पर हमारी तबीयत बिल्कुल ठीक थी. दो दिन बाद जांच कराने के लिए मोटरसाइकिल से बिष्णुगढ़ स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. उस बुखार नहीं होने के कारण हमें वापस घर भेज दिया गया.”
इस बीच संक्रमित व्यक्ति अपनी दिनचर्या में भी व्यस्त रहा. परिवार के लोगों के साथ रहने के अलावा गांव वालों के साथ बकरी चराने नागी जहर जंगल भी जाता रहा. सुबह-शाम अपने घर के बाहर चहारदीवारी पर बैठकर लोगों से बातचीत करता था. आनेवाले व्यक्ति का हालचाल लेने के साथ ही खैनी भी खिलाता था. चार अप्रैल को घर का राशन लाने के लिए पत्नी को महिला मंडल डीलर के पास भेजा.
लगभग 14 दिनों तक गांव में ही रहकर घर व बाहर का काम करता रहा. एकाएक पांच अप्रैल से इसकी तबीयत ज्यादा खराब होने लगी. उल्टी शुरू होने पर छह अप्रैल को मुखिया और चौकीदार की पहल पर दूसरे गांव बंदखारो से एक टैंपो को बुलाकर इलाज के लिए विष्णुगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा. जहां डॉ अरूण कुमार सिंह ने इलाज के बाद इसे क्वारेंटाइन करते हुए हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल आइसोलेशन सेंटर भेज दिया.
सात अप्रैल को ब्लड सैंपल जांच के लिए रांची रिम्स भेजा गया. 11 अप्रैल की सुबह जांच रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि हो गयी. डीसी, एसपी और सीएस संक्रमित व्यक्ति के गांव पहुंचे. विष्णुगढ़ प्रखंड के संक्रमित व्यक्ति के गांव शनिवार को डीसी डॉ भुवनेश प्रताप सिंह, एसपी कन्हैया मयूर पटेल, सिविल सर्जन डॉ कृष्ण कुमार, बीडीओ संजय कुमार समेत स्वास्थ्य टीम गांव पहुंची. संक्रमित व्यक्ति की पत्नी, दो पुत्र और परिवार के कुल 11 सदस्य को एंबुलेंस से हजारीबाग विष्णुगढ़ लाया गया. जहां इनकी जांच चल रही है.
पूरे गांव को सील कर दिया गया है. सात किमी के दायरे में लोगों को होम क्वारेंटाइन में रहने का निर्देश दे दिया गया और पूरे इलाके को सेनेटाइज किया जा रहा है. डीसी डॉ भुवनेश प्रताप सिंह ने कहा कि हजारीबाग के विष्णुगढ़ प्रखंड में अभी तक कोरोना के दो पॉजिटिव मरीज मिले हैं. जिले में 18405 लोगों की स्क्रीनिंग हुई है.