इचाक प्रखंड के बरियठ गांव के युवा किसान प्रेमनाथ महतो ग्राफ्टेड टमाटर की वर्षाकालीन खेती कर किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गये हैं. उन्होंने जून में पलांडू रांची से ग्राफ्टेड टमाटर के 1700 पौधे को लगाया. इसे तोड़ने का काम अब शुरू हो गया है. अनुसंधान केंद्र के पदाधिकारियों ने ग्राफ्टेड टमाटर के उत्पादित फसल को देख कर प्रसन्नता जाहिर की है.
अनुसंधान केंद्र के रांची प्रधान डॉ अरुण कुमार सिंह, डॉक्टर भावना, वैज्ञानिक धनंजय कुमार एवं अन्य अधिकारियों ने खेत का भ्रमण कर ग्राफ्टेड टमाटर की खेती का जायजा लिया. पदाधिकरियों ने कहा कि प्रेमनाथ महतो अनुसंधान केंद्र, रांची के साथ ग्राफ्टेड टमाटर की तकनीक संबंधित समझौता पत्र पर एमओयू कर बेहतर खेती की है. अन्य किसानों को भी प्रेमनाथ से सीख लेनी चाहिए.
ग्राफ्टेड टमाटर बरसात में भी फायदेमंद : इस समय बाजार में टमाटर का मूल्य अच्छा मिलने से किसानों को लाभ हो रहा है. बरसात के मौसम में टमाटर में मुरझा रोग की समस्या होती है. इसके कारण इस मौसम में टमाटर की खेती किसान नहीं करना चाहते हैं, लेकिन अनुसंधान केंद्र रांची द्वारा विकसित किया गया ग्राफ्टेड टमाटर की तकनीक से बरसात के मौसम में भी किसानों के लिए टमाटर की खेती सफल साबित हुई है. पदाधिकारियों ने कहा कि वर्ष 2020 में ग्राफ्टेड टमाटर के दस हजार पौधे की बिक्री हुई थी.
इसकी सफलता को देखते हुए इस वर्ष ग्राफ्टेड टमाटर के पौधे की अधिक मांग बढ़ी है. टमाटर की तुड़ाई अगस्त से लेकर मार्च तक यानी आठ महीनों तक चलती है. टमाटर का वजन 100 से 150 ग्राम आैर इसका छिलका मोटा होता है. उपज 108 टन प्रति हेक्टेयर होता है. इससे किसानों को काफी फायदा होता है. किसान प्रेमनाथ ने कहा कि ग्राफ्टेड टमाटर की खेती करने से बरसात के मौसम में भी किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. इस विधि से खेती करने पर मुरझा रोग नहीं लगता. पौधे नहीं मरते हैं आैर उत्पादन भी ठीक होता है.