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विभावि के पूर्व कुलपति प्रो रमेश शरण का निधन

विनोबा भावे विवि के पूर्व कुलपति प्रो रमेश शरण का निधन आठ जुलाई की रात कोलकाता में हो गया.

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आठ जुलाई की रात कोलकाता में ली अंतिम सांस

डॉ शरण के निधन से विवि में शोक की लहर

हजारीबाग.

विनोबा भावे विवि के पूर्व कुलपति प्रो रमेश शरण का निधन आठ जुलाई की रात कोलकाता में हो गया. विभावि कुलपति रहते हुए विश्वस्तरीय शिक्षक होने के नाते इनका लगाव शिक्षक व विद्यार्थियों के साथ रहता था. मानवतावादी व प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी होने के कारण प्रो शरण के निधन की खबर सुनते ही विभावि के बहुत शिक्षक अंतिम दर्शन के लिए मंगलवार को रांची के लिए निकल पड़े. विभावि के कई शिक्षकों ने प्रो शरण से शिक्षा ग्रहण किया है. गुरु का गुण इनमें कूट-कूट कर भरा हुआ था.

कुलपति के रूप में तीन वर्ष विभावि में रहे

प्रो शरण 14वें कुलपति के रूप में विनोबा भावे विवि हज़ारीबाग में अपना योगदान दिया था़ राजभवन की नियुक्ति पर इन्होंने 26 मई 2017 को अपना योगदान विभावि में दिया. उन्होंने विभावि में कुलपति के रूप में तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर 31 मई 2020 को रांची विवि वापस चले गये. इनके नेतृत्व में विभावि में एक दीक्षांत समारोह हुआ. इन्ही के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लिए विभावि में कमेटी बनी थी. इस कमेटी ने अपना ड्राफ्ट तैयार कर झारखंड सरकार को सौंपा था.

विभावि के लोकपाल भी बने

प्रो रमेश शरण को फरवरी 2024 में विभावि का लोकपाल नियुक्त किया गया था. इसी समय रांची से विभावि आये थे. उन्होंने सभी विभागों में जाकर विभागों की वस्तुस्थिति की जानकारी ली़ सभी शिक्षक व विद्यार्थियों से मिल कर शैक्षणिक माहौल का जायजा भी लिया था.

प्रो रमेश के कार्यकाल में रिसर्च का माहौल बना

प्रो रमेश शरण के कार्यकाल में विभावि में शोध का माहौल बना. शोध के क्षेत्र में विशिष्टता होने के कारण प्रो शरण शोध पर ज्यादा ध्यान दिये. फाइनल वाइवा के समय प्रो शरण स्वयं उपस्थित रहते थे. शोधार्थियों एवं सुपरवाइजर से हमेशा शोध की चर्चा करते एवं सलाह भी देते रहते थे. अपने विषय एवं शोधार्थियों की कक्षा जाकर उन्हें विषय एवम शोध की जानकारी देते थे .

प्रशासनिक

पदाधिकारी होते हुए शिक्षक की झलक थी

प्रो रमेश शरण विभावि के कुलपति थे, लेकिन इनसे जब शिक्षक मिलते थे, तो इनमें शिक्षक का गुण झलक जाता था. प्रशासनिक पदाधिकारी रहते हुए शोधार्थियों की कक्षा अक्सर लेते थे. अपने विषय के विद्यार्थियों के बीच जाकर कक्षा लेते थे. विद्यार्थी जब इनसे मिलते थे, तो विद्यार्थियो को लगता था कि वे कुलपति से नहीं अपने शिक्षक से मिल रहे हैं.

डॉ शरण के निधन से विवि जगत को अपूरणीय क्षति

डॉ एम आलम

डॉ मृत्युंजय कुमार

डॉ सुकल्याण मोइत्रा

विभावि कुलसचिव डॉ एम आलम ने कहा कि प्रो रमेश शरण के तीन वर्ष का कार्यकाल बतौर कुलपति शोध के उत्थान के रूप में था. उनके निधन से विवि जगत को अपूरणीय क्षति हई है. इन्होंने शोध के लिए विभावि में एक माहौल दिया, जिसका लाभ विवि के शिक्षकों को मिलता रहेगा.विभावि वित्त परामर्शी सुनील कुमार सिंह ने उनके निधन पर दुख प्रकट किया. उन्होंने कहा कि डॉ रमेश शरण मिलनसार व्यक्ति थे. शोध के क्षेत्र में ये हमेशा सक्रिय रहते थे.विभावि स्नातकोत्तर शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ केके गुप्ता ने कहा कि डॉ शरण विवेकपूर्ण निर्णय लेते थे, जिसके कारण इनके प्रति शिक्षक एवं विद्यार्थियों का लगाव बना रहता था.विभावि स्नातकोत्तर शिक्षक संघ के सचिव डॉ विनोद रंजन ने कहा कि व्यवहार के धनी थे. डॉ शरण अर्थशास्त्री थे ओर शोधकर्ता भी थे.विभावि के जन सूचना पदाधिकारी डॉ सुकल्याण मोइत्रा ने कहा कि विश्वस्तरीय शिक्षक की छवि होने का फायदा यहां के शिक्षकों व विद्यार्थियों को मिला है. इसे भुलाया नहीं जा सकता.डॉ मृत्युंजय कुमार ने कहा कि प्रो रमेश शरण सरल स्वभाव एवं विशिष्ट गुण के व्यक्ति थे. ये जब शिक्षकों से मिलते थे, तो उनकी योग्यता की पहचान आसानी से कर लेते थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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