हजारीबाग : हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड के इसको गांव के अवसारा पठारी और उरीमारी रोड स्थिति जोभिया घाटी में प्राचीनकालीन टब व चूल्हे के अवशेष मिले हैं. इन्हें पत्थरों को तराश कर बनाया गया है. इन्हें उत्तर पाषाण काल का बताया जा रहा है. इतिहासकारों के अनुसार, उत्तर पाषाण काल में जब ‘क्रोमैग्नन मानव’ अर्थात ‘ज्ञानी मानव’ का युग आया, तो इंसान ने आग का इस्तेमाल करना और पत्थरों को तराशना सीख भी लिया था.
कर्णपुरा कॉलेज के इतिहास विभाग के प्रो सुरेश कुमार महतो के अनुसार, उत्तर पाषाण काल के ज्ञानी मानव पत्थरों के औजार बनाते और उसी से जानवरों का शिकार करते थे. वे पत्थरों के बने चूल्हे में लकड़ियां जला कर उससे जानवरों के मांस को पका कर खाते थे. वहीं, पत्थरों को तराश कर टब का आकार देते थे, जिसमें वे पीने के लिए पानी जमा करते थे.
इस क्षेत्र में पाषाण काल की दर्जनों गुफाएं हैं. इंदिरा गांधी मेमोरियल कॉलेज के इतिहास विभाग के बाबूलाल महतो ने बताया कि यह क्षेत्र पुरातात्विक स्रोत का आधार है. कार्बन डेटिंग के अनुसार यदि यहां खोज की जायेगी, तो पूर्व पाषाण काल, मध्य पाषाण काल एवं उत्तर पाषाण काल के प्रमाण मिलेंगे.
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