बालू उत्खनन से नदियों एवं पुलों का अस्तित्व खतरे में

बालू का अवैध उत्खनन होने से नदियों एवं नवनिर्मित पुलों का अस्तित्व खतरे में है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 1, 2024 8:51 PM

1हैज21में- शिवाडीह पुल का पाया हुआ कमजोर 1हैज22में- नदी में बालू का उत्खनन संजय सागर बड़कागाँव : बालू का अवैध उत्खनन होने से नदियों एवं नवनिर्मित पुलों का अस्तित्व खतरे में है. बालू उत्खनन से पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. नदियों में जल स्रोत काम हो गया है. जिससे कृषि प्रधान प्रखंड बड़कागांव में खेती के लिए किसानों को सिंचाई करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. बालू उत्खनन बिना रोक-टोक के जारी है.दिन में हर घंटे ट्रैक्टरो एवं रात में हाईवे से बालू की ढुलाई होती है. सोनपुरा नदी में बने पुल का पाया हुआ कमजोर सिद्धार्था कंस्ट्रक्शन के द्वारा 2014 में सोनपुरा शिवाडीह गांव के हहारो नदी में बना पुल बालू की अवैध तस्करी के कारण कमजोर हो गया.बालू के लगातार उत्खनन के कारण पुल का कुछ हिस्सा कमजोर हो चुका है.अगर समय रहते कमजोर हिस्सों की मरम्मत नहीं कराई गई, तो कभी भी पुल पुनः ध्वस्त हो सकता है. कई पाया का रड निकल गया है.जिससे कभी भी बड़ी घटना घट सकती है. 12 वर्ष पहले पुल का निर्माण कार्य लगभग 4 करोड़ 32 लाख रुपये की लागत से पूर्ण किया गया था.और महज 12 वर्षों में स्थिति बद से बदतर हो गई.कई पिलर के छड़े बाहर तक निकल गई है. ग्रामीणों को मानना है कि 15 साल पहले बने कांड़तरी का पुल भी 2013 में ध्वस्त हो गया था. इसके बाद इसी नदी में पुनः नया पुल गत वर्ष बनाया गया .बड़कागांव के जमनीडीह – सीकरी नदी में बने पुल भी 10 वर्ष पहले ध्वस्त हो गया था. बड़कागांव के मंझला बाला नदी , कांड़तरी नदी छावनिया नदी, सीरमा नदी पंडरिया नदी में पुल के नजदीक से बालू निकाला जा रहा है. शिबाडीह पुल टूटने से मुख्यालय से दर्जनों गांवों टूटेगा संपर्क सोनपुरा, महूदी ,पलांडू कुंदरू, चेलंगदाग, झिकझोर, लोहरसा, बुंडू,हेंदेगिर,बचरा, कल्याणपुर सहित बहु चर्चित पर्यटन स्थल बरसो पानी इसी पुल के माध्यम से ले जाया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version