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बाजार खुले रहे, लेकिन नहीं हुआ बसों का परिचालन

अनुसूचित जाति, जनजाति आरक्षण में क्रीमिलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरोध में बुलाए गए भारत बंद का जिले में मिलाजुला असर रहा.

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भारत बंद का जिले में मिलाजुला असर

प्रतिनिधि, हजारीबाग

अनुसूचित जाति, जनजाति आरक्षण में क्रीमिलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरोध में बुलाए गए भारत बंद का जिले में मिलाजुला असर रहा. शहर के बाजार खुले रहे, लेकिन लंबी दूरी की गाड़ियां नहीं चलीं. कुछ दोपहिया वाहन सड़कों पर दिखे, बंद समर्थकों ने रोका और वापस जाने को कहा. जिला परिषद चौक में भारत बंद समर्थक सुबह आठ बजे पहुंचकर बड़े वाहनों को रोक दिया. हजारीबाग-पटना रांची रोड व बगोदर-हजारीबाग रोड में कई जगहों पर अवरुद्ध खड़ा कर सड़क जाम कर दी. बंद समर्थक टेंपू में चोंगा लगाकर जिला परिषद चौक पर सरकार विरोधी नारे लगाए. आंदोलनकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जल्द निर्णय को वापस लें. इस आंदोलन में भीम आर्मी के सदस्य, कांग्रेस के अनुसूचित जनजाति मोर्चा, झामुमो कार्यकर्ता सहित अन्य सामाजिक संगठन के लोग बंद का समर्थन किया. शाम तीन बजे के बाद बंद समर्थक जिला परिषद चौक में लगे जाम को हटा दिया.

मंडी में कम पहुंची सब्जियां :

शहर के डेली मार्केट में ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली साग-सब्जी बुधवार को कम आयी. बंद की वजह से कई सब्जियों के दाम में उछाल देखा गया. शहर में बड़कागांव, सदर प्रखंड, दारू, कटकमसांडी, इचाक सहित कई प्रखंडों से सब्जी आती है. वाहनों के नहीं चलने के कारण हरी सब्जी बाजार में कम पहुंची.

कई स्कूल बंद रहे :

भारत बंद को लेकर शहर के कई स्कूल बंद कर दिए गए थे. हालांकि सरकारी स्कूल व कॉलेज खुले रहे. सरकारी कार्यालयों में भी आम दिनों की तरह काम हुए. बंद को अनिवार्य सेवा से मुक्त रखा गया था. दवा दुकान खुली थी और डेयरी वाहन सामान्य दिनों की तरह शहर में पहुंचा.

क्यों था भारत बंद :

भारत बंद सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय के खिलाफ लिया गया है, जिसमें कोर्ट की ओर से एससी और एसटी श्रेणी में क्रीमिलेयर को आरक्षण देने का निर्णय लिया गया है. कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों को इसकी आवश्यकता है, उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए. ऐसे में इस फैसले के खिलाफ आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति की ओर से इस निर्णय का विरोध किया जा रहा है और पूरे भारत बंद का ऐलान किया गया. कुछ संगठनों ने सरकार से इस फैसले को यह कहते हुए खारीज करने की मांग की कि यह फैसला अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है.

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