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पांच साल पहले जिस युवती को मृत समझ बैठा, वह घर लौटी

घर में बिना बताये अचानक निकल गयी थी युवती

उल्लास: जिला समाज कल्याण की पहल से युवती लौटी घर, खुशी का माहौल : घर में बिना बताये अचानक निकल गयी थी युवती हजारीबाग. पांच साल पहले जिस युवती को परिवार वालों ने मृत समक्ष लिया था, उसके घर लौटने के बाद परिजनों के बीच खुशी का माहौल है. यह मामला कटकमदाग कदमा नावाटांड़ गांव का है. घर वापसी के लिए जिला समाज कल्याण की अहम भूमिका है. युवती की दुख भरी दास्तां सुन कर सभी हैरान है. हालांकि घर लौटी युवती बहुत कम बोल रही है. ससुराल में प्रताड़ित होने के बाद चली गयी यादाश्त : सीडीपीओ प्रतिमा कुमारी ने बताया कि युवती की शादी पदमा में हुई थी. ससुराल में उसे काफी प्रताड़ित किया जाता था. पति शराबी था. उसका व्यवहार पत्नी के साथ बेहतर नहीं था, जिसके कारण वह तनाव में रहने लगी थी. एक दिन वह अचानक किसी को कुछ बताये बिना ससुराल से निकल गयी. भटकती हुई वह कोडरमा स्टेशन पहुंची. सीडीपीओ ने बताया कि कोडरमा रेलवे पुलिस उसकी मन:स्थिति देख कर उसे स्वाधार गृह उज्ज्वला होम को सुपुर्द कर दिया. यहां लगभग दो साल तक रही. इतने दिनो तक वह किसी से कोई बातचीत नहीं की. कैसे हुई पहचान : सीडीपीओ ने बताया कि युवती को स्वाधार गृह से कुछ दिन बाद शक्ति सदन में भेजा गया. यहां पर भी करीब छह महीना रहने के बाद जिला समाज कल्याण की पहल पर युवती की लगातार काउंसिलिंग शुरू की. पहले युवती कुछ भी नहीं बता पा रही थी. लेकिन जैसे-जैसे काउंसिलिंग आगे बढ़ी युवती की यादाश्त वापस आने लगी. कुछ दिनों के बाद युवती ने कांउसेलर को केवल अपने गांव का नाम नावाटांड़ बताया. लेकिन यह नावाटांड़ किस जिला व प्रखंड में है, इसकी जानकारी युवती नहीं दे पा रही थी. ऐसी स्थिति में समाज कल्याण विभाग ने अपना दायित्व निभाने का काम किया. जिला समाज कल्याण पदाधिकारी शिप्रा सिन्हा ने बताया कि हजारीबाग व आसपास के जिलाें में नावाटांड़ के बारे में पता कराया गया. चतरा में इस नाम के पांच गांव थे. समाज कल्याण की टीम उन पांचों गांव में गयी और युवती के बारे लोगों से पूछताछ की. इस कार्य में स्थानीय आगंनबाड़ी सेविका का सहयोग लिया, लेकिन यहां पर कोई सफलता नहीं मिली. फिर से युवती का काउंसिलिंग शुरू की गयी. कुछ दिनों के बाद युवती को इतना याद आया कि उसके गांव नावाटांड़ से रेलगाड़ी गुजरती है. इसके बाद फिर से समाज कल्याण पदाधिकारी ने एक टीम गठित कर गांव को चिह्नित करना शुरू किया. युवती को 16 दिसंबर को हजारीबाग कटकमदाग के कदमा नावाटांड़ ले जाया गया. गांव पहुंचते ही कुछ महिलाओं ने इसकी पहचान कर ली. उसके बाद उसके माता-पिता ने भी उसकी पहचान की. जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने कहा कि नावाटांड़ की सेविका लगातार युवती की जानकारी रख रखी है. युवती अभी ठीक है. अपने परिवार के साथ घुल मिल रही है. अधिकारी ने विश्वास जताया कि आने वाले दिनों में युवती अपनी पुरानी अवस्था में लौट आयेगी. जैसे ही उसकी स्थिति सामान्य हो जायेगी, युवती के पुनर्वास के लिए विभाग की ओर से पहल की जायेगी. विनाेबा भावे विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ सादिक रज्जाक ने कहा कि ऐसी समस्या कभी-कभी मानसिक रूप से कमजोर लोगों में देखने को मिलती है. उन्होंने युवती के परिजनों को सलाह दी कि युवती के साथ पांच वर्ष पूर्व जो घटना घटी थी, उसकी पुनरावृत्ति न हो, इसका ध्यान रखना होगा.

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