रबर की खेती आर्थिक स्रोत का बनेगा जरिया : कुलपति
आइसेक्ट विश्वविद्यालय व भारतीय रबर अनुसंधान संस्थान (रबर बोर्ड) मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री कोट्टायम केरल के बीच एमओयू तरबा-खरबा स्थित मुख्य कैंपस में हुआ.
आइसेक्ट विश्वविद्यालय और भारतीय रबर अनुसंधान संस्थान के बीच एमओयू
प्रतिनिधि, हजारीबागआइसेक्ट विश्वविद्यालय व भारतीय रबर अनुसंधान संस्थान (रबर बोर्ड) मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री कोट्टायम केरल के बीच एमओयू तरबा-खरबा स्थित मुख्य कैंपस में हुआ. डॉ मीना सिंह, डॉ रिजू, डॉ सजी कुमार, वरीय वैज्ञानिक, वैज्ञानिक, भारतीय रबर अनुसंधान संस्थान मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री केरल के अन्य प्रतिनिधि, आइसेक्ट विवि के कुलपति डॉ पीके नायक, डीन एडमिन व आइक्यूएसी के निदेशक डॉ एसआर रथ, कृषि संकायाध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार की मौजूदगी में एमओयू हुआ. ज्ञात हो कि इस एमओयू का लाभ कृषि विभाग की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को मिलेगा. आने वाले समय में यहां के किसान भी इससे लाभान्वित होंगे. उक्त जानकारी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीके नायक ने दी.
पीके नायक ने कहा कि इसी के तहत विश्वविद्यालय में कृषि संकाय के माध्यम से हजारीबाग में पहली बार आइसेक्ट विश्वविद्यालय के कृषि रिसर्च फार्म में रबर खेती की शुरुआत हुई. उन्होंने बताया कि लगभग चार वर्षों में पेड़ तैयार हो जायेंगे. उसके लैक्टस से रबर तैयार किया जायेगा. कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद ने कहा कि आइसेक्ट विश्वविद्यालय प्लेसमेंट, शोधकार्य और विद्यार्थी अनुकूल वातावरण तैयार करने को लेकर विभिन्न संस्थानों से एमओयू कर एक सकारात्मक दिशा की ओर अग्रसर है.किसानों के लिए भी लाभदायक साबित होगा
कृषि संकायाध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि रबर की खेती बेहतर आर्थिक स्त्रोत का जरिया बनेगा. आइक्यूएसी निदेशक डॉ एसआर रथ ने कहा कि रबर की खेती कामयाब होती है तो शोधार्थियों को और किसानों के लिए भी लाभदायक साबित होगा. रबर खेती का शोध कार्य कृषि संकाय के संकायाध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार, विभागाध्यक्ष डॉ सत्यप्रकाश विश्वकर्मा, प्रभात किरण, फरहीन सिद्दीकी, प्रतिभा हेंब्रम व राजकुमार तिवारी की देखरेख में किया जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है