हजारीबाग की ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की जरूरत, ब्रिटिशकालीन समय में हुआ था निर्माण
हजारीबाग के ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की कोई कोशिश नहीं हो रही है. कई हेरिटेज खंडहर बन गये हैं. कई हेरिटेज को तोड़फोड़़ उसके वास्तिविक महत्व को समाप्त किया जा रहा है.
हजारीबाग के ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की कोई कोशिश नहीं हो रही है. कई हेरिटेज खंडहर बन गये हैं. कई हेरिटेज को तोड़फोड़़ उसके वास्तिविक महत्व को समाप्त किया जा रहा है. जिले में ऐसे सैकड़ों धरोहर सम्राट, सुल्तान, बादशाह,राजे-रजवाड़े और ब्रिटिश शासक के कार्यकाल में बने हैं. जंग-ए-आजादी का गवाह भी ये धरोहर हैं.
हजारीबाग की वर्तमान युवा पीढ़ी इन धरोहरों से अनजान हैं. वहीं राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी और शहर के प्रबुद्ध लोग जानकार भी इसके महत्व को नजरअंदाज कर रहे हैं. प्रमंडलीय शहर हजारीबाग की इन ऐतिहासिक धरोहर का जीर्णोद्धार व बचाकर इसकी पहचान को बरकरार रखी जा सकती है.
ब्रिटिशकालीन धरोहर :
हजारीबाग शहर आनेवाले सभी लोगों को प्राइवेट बस स्टैंड के सामने ब्रिटिश कालीन सैनिकों से संबंधित कई भवन खंडहरनुमा दिखाई देंगे. जिसे गेंद घर के नाम से जाना जाता है. जहां ब्रिटिश अधिकारी स्क्वैश खेलते थे. इन अवशेषों का इस्तेमाल वर्तमान में वन विभाग कर रहा है. इसकी वर्तमान स्थित काफी दयनीय है. इसकी रखरखाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है. इसीके पास सटा हुआ एक कुआं बना है, जिसका उपयोग कैंटोमेंट के घोड़ों को पानी पिलाने के लिए किया जाता था. इस कुएं की देखभाल किसी के अधीन नहीं है.
डब्लिन मिशन ने हजारीबाग शहर में विद्यालय, महाविद्यालय, अस्पताल, हॉस्टल और चर्च की स्थापना की गयी थी. इसमें एक चर्चित पुस्तकालय का भवन खंडहर में तब्दील हो गया है. रखरखाव के अभाव में सभी ऐतिहासिक भवन ढह रहे हैं. ये सारे भवन शहर के मिशन रोड व बस स्टैंड के आसपास ही हैं.
शहर के हॉलीक्रॉस रोड में कैथोलिक चर्च के सामने ओल्ड ब्रिटिश ग्रेवयार्ड स्थित है. यहां पर 1790 से 1835 के बीच अंग्रेज पदाधिकारियों को दफनाया गया था. इस ग्रेवयार्ड में 1827 ई में इस्ट इंडिया कंपनी के मेजर जनरल की भी कब्र है.
ऐसे शहर के बीचोबीच ऐतिहासिक धरोहर को बेहतर बनाने से देश विदेश के पर्यटकों, शोधार्थी और इतिहास कारों के लिए आकर्षक रहेगा. रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. जिला प्रशासन की प्राथमिकी में इन सभी धरोहरों को लाने की जरूरत है.